Book Title: Vishwashanti aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 48
________________ ऐसे मिला मुझे अहिंसा का प्रशिक्षण ३७ निर्दोष घोषित की गई पुस्तक को वापस लेकर बवण्डर को शान्त किया गया । सर्वोदयी नेता जयप्रकाश नारायण ने इसे अहिंसा का एक बड़ा प्रयोग बताया । 'अग्निपरीक्षा' पुस्तक को वापस लेने का प्रसंग बहुचर्चित रहा। उस समय एक साहित्यकार ने कहा- " आचार्यजी ! आपने इस पुस्तक को वापस लेकर साहित्य जगत् के प्रति न्याय नहीं किया।” मैंने उनको समझाते हुए कहा - " मैं पहले अहिंसा का साधक सन्त हूं, बाद में साहित्यकार हूं। जहां अहिंसा का प्रश्न है, वहां हमारा आचरण और व्यवहार अलौकिक ही होना चाहिए - इस सिद्धान्त में मेरी गहरी आस्था है। मैं चाहता हूं यह आस्था व्यापक बने ।” द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में गणधिपति श्री तुलसी का विशेष वक्तव्य । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74