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ऐसे मिला मुझे अहिंसा का प्रशिक्षण
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निर्दोष घोषित की गई पुस्तक को वापस लेकर बवण्डर को शान्त किया गया । सर्वोदयी नेता जयप्रकाश नारायण ने इसे अहिंसा का एक बड़ा प्रयोग बताया ।
'अग्निपरीक्षा' पुस्तक को वापस लेने का प्रसंग बहुचर्चित रहा। उस समय एक साहित्यकार ने कहा- " आचार्यजी ! आपने इस पुस्तक को वापस लेकर साहित्य जगत् के प्रति न्याय नहीं किया।” मैंने उनको समझाते हुए कहा - " मैं पहले अहिंसा का साधक सन्त हूं, बाद में साहित्यकार हूं। जहां अहिंसा का प्रश्न है, वहां हमारा आचरण और व्यवहार अलौकिक ही होना चाहिए - इस सिद्धान्त में मेरी गहरी आस्था है। मैं चाहता हूं यह आस्था व्यापक बने ।”
द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में गणधिपति श्री तुलसी का विशेष वक्तव्य ।
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