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अहिंसा के प्रशिक्षण की आधारभूमि
- आचार्य महाप्रज्ञ
क्या अहिंसा का प्रशिक्षण संभव है? यह प्रश्न अस्वाभाविक नहीं है, अप्रासंगिक भी नहीं है। अहिंसा परिणाम है, निष्पत्ति है । प्रवृत्ति का प्रशिक्षण हो सकता है,परिणाम का प्रशिक्षण नहीं हो सकता। यह तर्क हिंसा के लिए भी प्रस्तुत किया जा सकता है। इसमें सच्चाई है । हिंसा भी एक परिणाम है । प्रवृत्ति को मिटाया जा सकता है। उसका रूपान्तरण किया जा सकता है । परिणाम को न मिटाया जा सकता है और न ही उसका रूपान्तरण किया जा सकता है।
हिंसा : उद्भव स्त्रोत
___ मनुष्य में एक मौलिक मनोवृत्ति है,वह है, अधिकार की भावना,परिग्रह अथवा संग्रह की मनोवृत्ति । यह हिंसा का उद्भव स्त्रोत है । परिग्रह की मनोवृत्ति का रूपान्तरण हो जाना ही अहिंसा का उपादान है। अपरिग्रह की चेतना को जगाने के उपक्रम का नाम है,अहिंसा का प्रशिक्षण और अहिंसा के प्रशिक्षण का अर्थ है,अपरिग्रह की चेतना को जगाने का प्रयल।
परिग्रह और हिंसा
व्यक्तिगत स्वामित्व, सामूहिक स्वामित्व, राज्य का स्वामित्व, सहकारिता, केन्द्रित अर्थ व्यवस्था, विकेन्द्रित अर्थ व्यवस्था-इन शब्दों की मीमांसा किए बिना हम अहिंसा के प्रशिक्षण की बात सोच नहीं सकते । व्यक्तिगत स्वामित्व के प्रति बहुत आकर्षण है इसीलिए आर्थिक विकास के क्षेत्र में वह सर्वोत्तम प्रमाणित हुआ है।
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