Book Title: Vishwashanti aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 39
________________ २८ विश्व शान्ति और अहिंसा एक आदत न बने। हिंसा के साथ अनिवार्यता का भाव जुड़ा रहे। हिंसा करना आवश्यक हो तो पहले यह विचार आए कि हिंसा करना वांछनीय नहीं है. किन्तु अनिवार्यता है, इसलिए मुझे हिंसा करनी पड़ रही है। हिंसा की समस्या इसलिए विकट बन गई कि हिंसा एक आदत बनती जा रही है। हिंसा का प्रशिक्षण अर्जित आदत का निर्माण कर रहा है । यह वर्तमान युग की सबसे अधिक खतरनाक स्थिति है । आतंकवाद हिंसा के प्रशिक्षण के सहारे चल रहा है। इस समस्या पर गंभीरतापूर्वक चिन्तन अपेक्षित है। अहिंसक समाज रचना अहिंसक समाज रचना की कल्पना अनेक दशकों से चल रही है। अहिंसा की आस्था रखने वाले अनेक संस्थानों और प्रतिष्ठानों ने इस कल्पना को आगे बढ़ाने का प्रयत्न किया है। किन्तु वह प्रयत्न अभी व्यापक नहीं बना है। इसका कारण है कि अहिंसा के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति आश्रम की सीमा को तोड़ नहीं पाए हैं। व्यापक क्षेत्र में प्रवेश किए बिना अहिंसा के विचार को जन-जन में प्रतिष्ठित नहीं किया जा सकता और उसके बिना अहिंसक समाज रचना की बात आगे नहीं बढ़ सकती ! राजस्थान में अणुव्रत के कार्यकर्ताओं ने अणुव्रत ग्राम निर्माण के प्रयोग किए। उसकी न्यूनतम संकल्पना यह थी - • अणुव्रत ग्राम में ९० प्रतिशत व्यक्ति अणुव्रता हो । कोई कोर्ट केस न हो । मतभेद, मनभेद को पारस्परिक सद्भाव से सुलझाया जाए। 0 • छुआछूत, अज्ञान- अशिक्षा तथा अंधरूढ़ियों को प्रश्रय न मिले। बेकार, बेरोजगार और बेजमीन लोग न हों। • गांव की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाए। वैज्ञानिक उपलब्धियों की जानकारी का प्रबन्ध किया जाए। • व्यसन मुक्ति पर विशेष बल दिया जाए। गांव में शराब का ठेका न हो । ० ० गुजरात में आज भी अणुव्रत ग्राम निर्माण का कार्यक्रम चल रहा है। पर इन सबको मैं सीमित प्रयोग मानता हूं। पूरे समाज को बदलने के लिए बड़े पैमाने पर‍ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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