Book Title: Vishwashanti aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 34
________________ अहिंसा प्रशिक्षण और जीवन मूल्य - आचार्य महाप्रज्ञ मूल्यों की समस्या एक जागतिक समस्या है। मूल्यों का ह्रास हो रहा है। प्रत्येक चिंतनशील व्यक्ति इस चिंता से व्याकुल है। उनकी प्रतिष्ठा हो, यह सबकी आकांक्षा और अपेक्षा है। मूल्यों का ह्रास क्यों हो रहा है, यह अन्वेषण का विषय है। वे पुनः प्रतिष्ठित कैसे हों, यह हमारे कर्तव्य का विषय है । असीम आर्थिक महत्त्वाकांक्षा और सुख-सुविधावाटी दृष्टिकोण ने मूल्यों का ह्रास किया है । येनकेन प्रकारेण साधन जुटाने की मनोवृत्ति और मूल्यों की प्रतिष्ठा-दोनों एक साथ नहीं चल सकते । साधन शुद्धि का विचार जितना क्षीण होता है, मूल्यों का स्तर उतना ही नीचे आ जाता है। नैतिक मूल्य और आध्यात्मिक मूल्य-दोनों साधन-शुद्धि के साथ अनिवार्य रूप से जुड़े हुए है। इन दोनों मूल्यो के बिना मानवीय मूल्यों की स्पष्ट व्याख्या ही नहीं की जा सकती। सम्यग् दर्शन अपरिग्रह और अहिंसा आध्यात्मिक मूल्य हैं। प्रामाणिकता अथवा ईमानदारी नैतिक मूल्य हैं । इनकी प्रतिष्ठा साधन-शुद्धि सापेक्ष दृष्टिकोण होने पर ही की जा सकती है । इस अर्थ में कहा जा सकता है अनेकांत अथवा सापेक्ष दृष्टिकोण मूल्यों का मूल्य है । वह सम्यग् दर्शन है। उसके बिना सम्यग् आचार की कल्पना नहीं की जा सकती । अहिंसा के प्रशिक्षण की आधारभूमि सम्यग-दर्शन है । दृष्टिकोण को बदले बिना अहिंसा के विकास का प्रयल वैसा है,जैसे कोई आदमी बीज बोए बिना फसल खडी करना चाहता है ! क्या हमारा टपिकोण धन और धन-संग्रह के प्रति यथार्थवाटी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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