Book Title: Vishwashanti aur Ahimsa Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 7
________________ १. २. अहिंसा में आस्था रखने वाले लोगों का कोई शक्तिशाली मंच हो । अहिंसा के क्षेत्र में काम करने वाले लोग अहिंसा की दृष्टि से प्रशिक्षित हों । समर्थ शान्ति सेना के निर्माण की संभावना पर चिन्तन हो । (vi) ३. आचार्य श्री महाप्रज्ञ के अनुसार अहिंसा के विकास के लिए आवश्यक है शिक्षा में बौद्धिक व्यक्तित्व के विकास के साथ-साथ भावनात्मक व्यक्तित्व के विकास की बात भी जुड़े। वर्तमान विश्व में आर्थिक और भौतिक विकास की एकांगी अवधारणा ने हिंसा के आचरण को बढ़ावा दिया है। इन दशकों में अहिंसा के प्रति जो आकर्षण बढ़ा है, वह हिंसा से उत्पन्न समस्या के कारण बढ़ा है। हत्या, आतंक, संहारक शस्त्रों का निर्माण, हिंसक संघर्ष और युद्ध, ये हिंसक समस्याएं समाज की शान्ति को भंग कर रही हैं। सबको लग रहा है : वर्तमान की अशान्ति को मिटाने का सबसे सुन्दर समाधान अहिंसा है। अहिंसा प्रशिक्षण की आधारभूमि है, व्यक्ति । और प्रयोग भूमि है, समाज । अत: अहिंसा प्रशिक्षण की पद्धति का मौलिक आधार है अहिंसानिष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण । उसकी प्रयोग भूमियां चार हैं १. पारिवारिक जीवन २. सामाजिक जीवन ३. राष्ट्रीय जीवन ४. अन्तर्राष्ट्रीय जीवन । अहिंसा प्रशिक्षण के आधारभूत तत्व हैं - हृदय परिवर्तन, दृष्टिकोण परिवर्तन, जीवन शैली परिवर्तन एवं व्यवस्था परिवर्तन । व्यक्ति का निर्माण समाज सापेक्ष और समाज का निर्माण व्यक्ति सापेक्ष होता है। इन दोनों सच्चाइयों को ध्यान में रखकर ही अहिंसा प्रशिक्षण की बात को आगे बढ़ाया जा सकता है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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