Book Title: Varang Chariu
Author(s): Sumat Kumar Jain
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust

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Page 169
________________ 158 9. 1 वरंगचरिउ 9 तहि' चेयालउ णरवइ करेवि तहि हवण' पूयचेई हरम्मि पिक्खहु - पिक्खहु भाविय' विवाउ सो विहि उम्मूलिवि णिउ एसि जुयरायउ जाउ सुसेण पुत्तु इत्तहि महुराउरि इंदसेणु सहु पालइ णि सत्तंगु रज्जु अवरहि दिणि हरिआसणि णिसण्णु ता भणइ मंति कुलकमलभाणु ललिताहणयरि पहु देवसेणु तहु घरि अच्छइ गिरिवर समाणु णियबलि भूरुह भंजण समत्थु गयवरु रेहइ' णं सुरकरेंदु सो गयवरु लिज्जइ लहु छलेण इय वयणु सुप्पिणु भणइ राउ णियबलि लेसमि गयवरु पयंडु इय वयण सुणिवि भडसत्थ वुत्तु पढमइ पेसिज्जइ दूव इक्कु जइ अप्पइ तो तहो होइ संति तं णिसुणिवि पेसिउ मणि विवेउ 10 सो गयउ वहूहर" सिग्घु तित्थु जाइ वि णवयारिउ राउ तेण ता कहइ वहूहरु" णिसुणि देव महुरापुरि सुरवइसेणु राउ वर सिक्खइ सुय कामिणिहि देवि । विहि जुत्त करहि ते दिण - दिणम्मि । जु पट्टि णिहित्तु वरंगु राउ । वणि घल्लिउ सो गउ अण्णदेसि । विहि सरिसउ अवरु ण कोवि धुत्तु । णिउ अच्छइ पुत्त उवेंदुसेणु । अरि-महिहर - सिर सोयामणिज्जु' । सहमज्झि' परिट्ठिउ णाइ विण्हु | णिव वयणु महारउ करि पमाणु । णियबलि हय परचक्कियहं सेणु । गुरुणाउ करइ गंडयलिदाणु । तेयइ तासिय करिवरहं सत्थु । णं करिवर - महिहर - महिहरिदुं । अह मंगिवि अहवा णियबलेण । मइ अग्गइ थक्कइ को वराउ । अण्णु वि मग्गेसमि लच्छि दंडु । णवि किज्जइ णरवइ इय अज्जुत्तु । मंगिवि लिज्जइ हत्थिउ गुरुक्कु । ण तो संगरि णिग्गहु करंति । वर सिक्खइ दाविवि सामभेउ । पहु णिज्जर - सेणु वइड जित्थु । वुच्चइ धरवइ पट्ठविउ केण । जो दुद्धरु कय मंडलिय सेव । तो तणउ दूर हउं इत्थुयाउ । 1. A, K, N, तहिं 2. K, ण्हवण्ण 3. N, भविय 4. K, रजु 5. A, सोवाम° 6. K, मब्भि 7. A, K, N, रेहइ 8. A, K, N, सुणेपिणु 9. A, K, अज्जुत्तु 10. A, K, N, विवेइ 11. A, K, N, वर्डहर 12. A, K, N, वउहर

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