Book Title: Varang Chariu
Author(s): Sumat Kumar Jain
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust
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वरंगचरिउ
वसुंधरि (वसुंधरा-सनत्कुमार की पुत्री और वरांग विसालपुरि (विशालपुरि ) 4/14 सिंहउर (सिंहपुर ) 1/6
की पत्नी) 1/6 सणकुमार (सनत्कुमार–इष्टपुत्री के राजा) 1/6 सायर विद्धि (सागरबुद्धि - ललितपुर नगरी का वणिपति) 2/6
(xi) षट् ऋतु नाम
हिम - सिसिर - वसंतइ-गिंभयालि अण्णु वि वरसालइ सद्दपालि । 4/16
1. हिम ऋतु, 2. शिशिर ऋतु 3. बसंत ऋतु 4. ग्रीष्म ऋतु, 5. वर्षा ऋतु 6. शरद ऋतु
सुकेसी (सुकेशी - वज्रायुध राजा की पुत्री और वरांग की पत्नी) 1/6
सुगत्तु (सुगा - वरांग का पुत्र) 4 / 16 सुनंदा (सुनंदा - कुमार वरांग की पत्नी साथ ही पटरानी) 1/6
सुबुद्धि मंत्री (1 /6)
सुसेण (सुषेण-वरांग का सौतेला भाई) 4/5 हलि (मनोरमा की सखी / सहेली / दासी) 4/3 (x) नगरों / क्षेत्र के नाम
आणत्तपुर (आर्नतपुर) 4/12 कंतपुरणयरू ( कंतपुरनगर ) 1/3
गिरिवज्ज (गिरिवज) 1/6
जमणार ( यमपुरी) 3/3
जम्बूदीउ ( जम्बूद्वीप) 1/2
पुरचक्क (चक्रपुर ) 1/6
भरहखेत्त (भरत क्षेत्र) 1/3
पुरमलय (मलयपुर) 1/6
महुराउरि (मथुरापुरि) 3/9 ललिताहणयरि (ललितपुर) 3 / 9
वासउपुर ( वासवपुर) 4/23 विणीयदेसु (विनीतदेश) 1/2
231
(xii) राज्य के अंग
सो आणिज्जइ णियय सहायहो । देस-कोस-बल-लच्छि सहायहो ।। 3 / 12 1. राजा 2. मंत्री 3. कोश भण्डार 4. देश 5. किला 6. मित्र 7 सैन्य
(xiii) कथा-प्रसंग
1. प्रद्युम्न की कथा -
अहवा मुयउ ण सुन्दरो, वणिगउ जहि गिरिकंदरो। पज्जुण्णु व आवेस जइ जीवंतउ होस । 3 ।। 3/3
2. रावण की कथा
कहि पडिहरि दहमुह अइ पयंडु जहि अरिवरबल किय खंडु-खंडु | 3/4
कम्में दहमुह लक्खणि धायउ। 2/1
परतिय लंपडु हटमुह जायउ, तिक्खंडइ राउणु विक्खायउ | 1/14
3. राजा यशोधर की कथा
कम्में राउ जसोहर णडियउ तिय मोहे सो दुइ पडियउ | 2/1
4. भरत चक्रवर्ती की कथा

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