________________
चिन्तन-मनन
१. आत्मा का अपने साथ बात-चीत करना ही मनन है ।
-लेटो २. मनन विचार की परिचारिका है और विचार मनन का भोजन ।
-सी० सिमन्स ३. धर्मशास्त्रों का मात्र पाठ करना दूसरों की गायें गिनने
के समान है। ४. कालेण य अहिज्जित्ता, तओ झाइज एगगो ।
-उत्तराध्यवन १।१० पथासमय अध्ययन करके फिर उसमे तत्त्व का ध्यान-चिन्तनमनन करना चाहिए। चिन्तन की तीन भूमिकाएँ१. जो सोच नहीं सकता, वह मूर्ख है। २, जो सोचना नहीं चाहता, वह अन्धविश्वासी है। ३. जिसमें सोचने का साहस नहीं, वह गुलाम है।