Book Title: Vajradant Chakravarti Barahmasa Author(s): Nainsukh Yati, Kundalata Jain, Abha Jain Publisher: Kundalata and Abha Jain View full book textPage 6
________________ आदि सभी ग्रन्थों में चित्र देने का भाव बना और बहुत-बहुत पुरुषार्थ उसके लिए चलकर काफी लम्बा समय निकल गया। इन ग्रंथों के अतिरिक्त हमारे पास पशु पक्षियों के माध्यम से बच्चों के लिए उपदेशप्रद एक छोटी पुस्तक एवं कुछ रंगीन सुन्दर-सुन्दर पोस्टर्स भी तैयार हैं। इस बारहमासे के चित्रों को रंगीन करने का भी कार्य एक बार प्रारम्भ किया था जो शायद आगामी किसी संस्करण में पूर्ण होकर निकल सके। यह सारी सामग्री और अन्य भी कुछ कलात्मक सामग्री हमारे पास कम्प्यूटर में सुरक्षित है किसी भी जिज्ञासु को प्रकाशित करानी हो या अन्य कहीं प्रचार-प्रसार के कार्य में उसका प्रयोग करना हो तो हमसे ले सकते हैं। __बनारसी दास जी के 'समयसार नाटक' के समान यह बारहमासा घर-घर में गाया जाकर जन-जन की वस्तु बने और सब लोग इसे बार-बार प्रकाशित करके सर्वत्र वितरित करें-ऐसी पुनीत भावना है। व्रत उद्यापन, जन्मदिन या विवाह आदि के शुभ अवसरों पर भी यह हमसे लेकर या प्रकाशित करवाकर भेंट स्वरूप दिया जा सकता है। इत्यल कु0 कुन्दलता जैन एवं आभा जैन लीजीए अब आपके कर कमलों में समर्पित है यह द्वितीय संस्करण जो कि समाज की अतिशय मांग पर अतिशीघ्र ही प्रकाशित किया जा रहा है। गत संस्करण को प्रकाशित हुए अभी 8-10 माह ही हुए थे कि वह समाप्त हो गया। यह प्रकाशन दरियागंज जैन समाज कि ओर से है जो साधुवाद का पात्र है। कुन्द एवं आभाPage Navigation
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