Book Title: Vajradant Chakravarti Barahmasa Author(s): Nainsukh Yati, Kundalata Jain, Abha Jain Publisher: Kundalata and Abha Jain View full book textPage 5
________________ आमुख (प्रथम संस्करण) वज्रदन्त चक्रवर्ती के अत्यन्त वैराग्यपूर्ण एवं सुन्दर इस बारहमासे को आदरणीया अम्मा जी श्रीमती प्रेमलता जी जैन की स्मृति में समाज को समर्पित करते हुए अति हर्ष का अनुभव कर रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व भी अनन्त चतुर्दशी के अवसर पर चित्र रहित इस बारहमासे का एक संक्षिप्त सा संस्करण प्रस्तुत किया था। इसके रचयिता कवि नैनसुखदास जी अपने विरक्तिपूर्ण हृदय के कारण 'यति' की उपाधि से विभूषित थे। गत कई वर्षो से अष्टपाहुड जी आदि तीन-चार ग्रन्थों व उनके चित्रों पर सम्पादन कार्य चालू था। 'उपदेश सिद्धान्त रत्नमाला' के बाद अब इसका और फिर अष्टपाहुड जी का नम्बर हैं, श्रीमान् विपिन कुमार जैन, श्रीमान् विजेन्द्र जैन (ज्वैलर्स) और श्रीमती चित्रा जैन एवं अन्य भी जिन-जिन बहिन भाईयों ने अपने तन-मन-धन से 'उपदेशसिद्धान्त रत्नमाला', 'अष्ट पाहुड जी' ग्रन्थों के प्रकाशन में तो योगदान दिया ही परन्तु बारहमासा के प्रकाशन में भी काफी सहयोग दिया है उनका हृदय से आभार मानते हैं। रोहित भाई की मार्फत भी अन्य जो महत्त्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ वह भी अभिनन्दनीय है। ___ यह तो सबको विदित ही है कि चित्रों युक्त सारा कलात्मक कार्य कितना दुस्साध्य होता है और हमें बहुत ही ज्यादा उमंग व उल्लास था सजीव चित्रण प्रस्तुत करने का क्योंकि आजकल हम अल्पबुद्धिजीव चित्रों के माध्यम से शास्त्र की बात जल्दी समझ लेते हैं अतः उपदेशसिद्धान्तरत्नमाला', 'बारहमासा' एवं अष्टपाहुड' जीPage Navigation
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