Book Title: Vairagya Shataka
Author(s): Purvacharya, Gunvinay
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 13
________________ वैराग्य- त्यां आवीने शियिका थकी उतयों. एटले पालखीथी हेटो उतयों. त्यार पछी माता पिता, ते कुमारने आगल || भाषांतर शतकम् | करीने श्रीवीरस्वामीजीनी समीपे आवीने वंदनादि पूर्वक एटले वंदनादि नमस्कार करीने आ प्रकारे कहेतां३६ सहित | हवा. हे स्वामिन् ! आ अतिमुक्तक कुमार अमने वहालो छे, अने अमने मनोज्ञ छे, अने ए अमारे एकज पुत्र || ॥ ११ ॥ Jt छे; परंतु जेम कमल, कादवने विषे उत्पन्न थाय छे, अने वली पाणीने विषे वृद्धि पामे छे, पण कादव अने पाणीए. hd करीने लेपातुं नथी, तेम आ अतिमुक्तक कुमार पण शब्द, रूप, ए के लक्षण ते जेमनु एवा कामोने विषे उत्पन्न dथयो छे, अने गंध, रस, अने स्पर्श ए छे लक्षण ते जेमनुएवा भोगोने विषे वृद्धि प्रत्ये पाम्यो छे, पण ते JE कामभोगोने विषे अने मित्र, ज्ञाति, स्वजनः संबन्धि एवा लोकोने विषे लेपायो नथी. अर्थात् ममताए करीने JE Jt | रहित छे. वली आ कुमार संसारना भये करोने उद्विग्न थयो सतो एटले विरक्त मनवालो थयो सतो आपनी पासे दीक्षा लेवाने इच्छे छे. ते कारण माटे अमे आपने आ शिष्यरूप भिक्षा प्रत्ये आपीए छीए आप पण आ शिष्यरूप भिक्षा प्रत्ये अंगीकार करो. सारे स्वामिए कह्यु, हे देवानुप्रियो ! जेम तमने सुख उपजे तेम. प्रतिबंध करशो नही. एटले ममता करशो नही. लार पछी अतिमुक्तक कुमार भगवंतन वचन सांभलीने | खुशी थयो सतो भगवंत प्रत्ये त्रण प्रदक्षिणा करीने अने नमस्कार करीने उत्तर पूर्व दिशिने विशे एटले , इशान खूणामां जइने पोतानी मेलेज आभरण माल्य अलंकार प्रत्ये मूकतो हवो. ते अवसरे माता, उज्वल वस्त्रे करीने आभरणादिक प्रत्ये ग्रहण करीने आंखो थकी आंसु मूकती थकी अतिमुक्तक कुमारने ए प्रकारे 4SA Jain Education Inter 2011 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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