Book Title: Tulsi Prajna 2003 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 12
________________ परमाणु में एक वर्ण, एक गंध, एक रस एवं दो स्पर्श होते हैं। परमाणु में पांच वर्णों में से कोई एक वर्ण, दो गंध में से कोई एक गंध तथा पांच रसों में से कोई एक रस हो सकता है। स्पर्श दो होंगे। कौन से दो होंगे? इस संदर्भ में चार विकल्प प्राप्त हैं 1. शीत और स्निग्ध। 2. अथवा शीत और रुक्ष। 3. अथवा उष्ण और स्निग्ध । 4. अथवा उष्ण और रुक्ष। भिन्न-भिन्न प्रदेशी स्कन्ध में वर्ण आदि के विभिन्न विकल्प बनते हैं। जिसको निम्नलिखित चार्ट से समझा जा सकता है 62.---- वर्ण गन्ध रस स्पर्श परमाणु कोई एक कोई एक एक दो द्विप्रदेशी एक या दो एक या दो एक या दो दो, तीन या चार त्रिप्रदेशी एक, दो या तीन एक या दो एक, दो या तीन दो, तीन या चार चतुः प्रदेशी एक, दो, तीन या चार एक या दो एक, दो, तीन दो, तीन या चार या चार पांच प्रदेशी एक, दो, तीन, एक या दो एक, दो, तीन, दो, तीन या चार चार या पांच चार या पांच असंख्यप्रदेशी एक, दो, तीन, एक या दो एक, दो, तीन, दो, तीन या चार चार या पांच चार या पांच सूक्ष्मपरिणति वाले एक, दो, तीन, एक या दो एक, दो, तीन, दो, तीन या चार अनंतप्रदेशी स्कन्ध चार या पांच चार या पांच बादरपरिणति वाले एक, दो, तीन, एक या दो एक, दो, तीन, चार, पांच, छह, . अनंत प्रदेशी स्कन्ध चार या पांच चार या पांच सात या आठ द्विप्रदेशी आदि स्कन्धों में वर्ण-वर्ण, रस-रस, स्पर्श-स्पर्श के भी परस्पर अनेक विकल्प हो सकते हैं। जिसका भगवती में विस्तार से उल्लेख प्राप्त है। जिज्ञासु को भगवती के उस स्थल का अवलोकन करना चाहिए। द्विप्रदेशी स्कन्ध से लेकर सूक्ष्मपरिणति वाले अनन्तप्रदेशी स्कन्ध में शीत, उष्ण, स्निग्ध एवं रुक्ष इनमें से दो, तीन या चार स्पर्श प्राप्त होते हैं। 64 अतः ये स्कन्ध अगुरुलघु अर्थात् भारहीन होंगे। बादर परिणति वाले अनन्तप्रदेशी स्कन्ध में चार स्पर्श से यावत् अष्ट तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2003 - 7 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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