Book Title: Tulsi Prajna 2003 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ बंध के सम्बन्ध में सभी परम्पराएँ सदृश नहीं हैं। द्रष्टव्य यंत्र तत्त्वार्थभाष्यानुसारिणी टीका 5/55 के अनुसार क्रमांक गुणांक सदृश विसदृश hen he to जघन्य + जघन्य जघन्य + एकाधिक जघन्य + व्यधिक जघन्य + त्र्यादिअधिक जघन्येतर + समजघन्येतर जघन्येतर + एकाधिक जघन्येतर जघन्येतर + व्यधिक जघन्येतर जघन्येतर + अधिक जघन्येतर he ice teacher नहीं है दिगम्बर ग्रंथ सर्वार्थसिद्धि के अनुसार क्रमांक गुणांक सदृश विसदृश - जघन्य + जघन्य नहीं नहीं लं पं जघन्य + एकाधिक जघन्य + व्यधिक जघन्य + त्र्यादिअधिक जघन्येतर + समजघन्येतर जघन्येतर + एकाधिक जघन्येतर नहीं जघन्येतर + द्वयधिक जघन्येतर है जघन्येतर + त्र्यादिअधिक जघन्येतर नहीं नने के ॥ ॐ - o | तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2003 - 13 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122