Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 09 10 Author(s): Vijaysushilsuri Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti View full book textPage 8
________________ प. पू. शासन सम्राट समुदाय के वडिल-गच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म.सा. जीवन परिचय जन्म : वि.सं.१९७३ भाद्रपद शुक्ल द्वादशी २८ सितम्बर १९१७ चाणस्मा(उत्तर गुजरात) माता : श्रीमती चंचल बेन मेहता पिता : श्री चतुरभाई मेहता नाम : गोदड़भाई परिवार गौत्र : चौहाण गौत्र वीशा श्रीमाली संयमी परिवार : पिताजी व दो भाई एवं एक बहन ने जैन भागवती दीक्षा अंगीकार की। दीक्षा : वि.सं. १९८८ कार्तिक (मार्गशीर्ष) कृष्णा २ दिनांक २७ नवम्बर १९३१ श्री पदमनाभ स्वामी जैन तीर्थ, उदयपुर (राज.) दीक्षा नाम : पू. मुनि श्री सुशील विजयजी म.सा. बड़ी दिक्षा : वि.सं. १९८८ महासुदीपंचमी, सेरिसा तीर्थ (गुजरात) गणिपदवी : वि.सं. २००७ कार्तिक मार्गशीर्ष) कृष्णा ६,दिनांक १ दिसम्बर १९५० वेरावल (गुजरात) पंन्यास पदवी : वि.सं. २००७ वैशाख शुक्ला ३ दिनांक ६ मई १९५१ अहमदाबाद (गुजरात) उपाध्याय पद : वि.सं. २०२१ माघ शुक्ला ३ दिनांक ४ फरवरी १९६५ मुंडारा (राजस्थान) आचार्य पद : वि.सं. २०२१ माघ शुक्ला५ दिनांक ६ फरवरी १९६५ मुंडारा (राजस्थान) कालधर्म : वि.सं. २०६१, आसोज सुदि-८ मंगलवार, ११ अक्टूबर २००५चिकपेट, बैंगलोर साहित्य सर्जन : सर्जन करीब १७० ग्रंथ पुस्तकों का लेखन, पुस्तकों का अनुवाद, ग्रन्थों का सम्पादन प्रतिष्ठाएँ : १८७ से अधिक जैन मंदिरों की प्रतिष्ठाएँव अंजनशलाकाएँ (वि.सं. २०२१ से वि.सं. २०६१ तक) जैन तीर्थ निर्माता : श्री अष्टापद जैन तीर्थ- सुशील विहार, रानी (राजस्थान) अलंकरण : साहित्य रत्न, शास्त्र विशारद एवं कविभूषण-मुंडारा (राजस्थान) जैनधर्म दिवाकर - वि.सं. २०२७ जैसलमेर(राजस्थान) मरुधर देशोद्धारक - वि.सं. २०२८ रानी स्टेशन (राजस्थान) राजस्थान दीपक -वि.सं. २०३१ पाली-मारवाड़ (राजस्थान) शासन रत्न - वि.सं. २०३१ जोधपुर (राजस्थान) श्री जैन शासनशणगार- वि.सं. २०४६ मेड़ता सिटी (राजस्थान) प्रतिष्ठा शिरोमणि - वि.सं. २०५० श्रीनाकोड़ा जैन तीर्थ, मेवानगर(राजस्थान) जैन शासन शिरोमणि - वि.सं. २०५५ पालीशहर में पट्ट परम्परा - श्रमण भगवान श्री महावीर स्वामी परमात्मा के पंचम गणधर श्री सुधर्मास्वामी जी महाराज की सुविहित परम्परा के ७७वें पाट पर सुशोभित तपागच्छाचार्य।Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 116