Book Title: Tattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 14
________________ अनुक्रमाङ्क विषय ४५ पुद्गल द्रव्य के रूपपने का निरूपण सू० ४ ४६ काल आदि तीन द्रव्यों ४७ धर्मादि द्रव्य के प्रदेश का निरूपण सू० ६ १९७-२०० ४८ समस्त आकाश के समस्त जीवों का अनन्त प्रदेशत्व का नि० सू० ७ २०१-२०२ २०३-२०५ २०६ २०७-२११ ४९ ५० a 3 ५१ ५२ ५३ ५४ ५५ ५६ ५७ ५८ ५९ ६० ६१ ६२ ६३ ६४ ६५ ६६ ६७ ६८ ६९ ७० ३ के अनेकत्व होने का निरूपण सू० ५ मूर्त पुद्गलो के प्रदेशों के परिमाण का निरूपण सू० ८ लोक पद से धर्मादि द्रव्य के ग्रहण होने का कथन नि० सू० ९ धर्मादि द्रव्य के अवगाहादि प्रदेश का निरूपण सू० १० धर्मास्तिकाय एवं अधर्मास्तिकाय का लोकाकाश में अवगाह का निरूपण सू० ११ लोकाकाश में पुद्गलों के अवगाह आदि का निरूपण सू० १२ जीव द्रव्य के अवगाह का निरूपण सू० १३ काल द्रव्य के अवगाह का निरूपण सू० १४ धर्मादि द्रव्य के लक्षण का निरूपण सू० १५ पुद्गलों के लक्षण का निरूपण सू० १६ जीव द्रव्य के उपकारित्व का निरूपण सू० १७ काल द्रव्य का स्वरूप एवं उनके लक्षण का निरूपण सू० १८ विशेष प्रकार से पुद्गल के स्वरूप का निरूपण सू० १९ शब्द आदि के पुद्गल पने का निरूपण सू० २० पुद्गलों के भेदों का निरूपण सू० २१ परमाणु पुद्गल के उत्पत्ति के कारणका निरूपण सू० २२ स्कंध के चक्षुग्राहयत्व का निरूपण सू० २३ समस्त द्रव्यों में व्यापक द्रव्य के लक्षण का निरूपण सू० २४ શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર : ૧ सत् के लक्षण का निरूपण सू० २५ नित्यत्व के लक्षण का निरूपण सू० २६ द्रव्य के संधात निष्पत्तिका निरूपण सू० २७ स्मन्धों के बन्धत्व का निरूपण सू० २८ द्रव्य के लक्षण का निरूपण सू० २९ पृष्ठाङ्क १८७-१९१ १९१-१९६ २११-२१३ २१३-२१५ २१६-२२३ २२३-२२४ २२४-२३४ २३४-२४१ २४१ - २४४ २४४-२५६ २५६-२५९ २५९-२६९ २६९–२७३ २७४-२८४ २८४-२८८ २८८- २८९ २९०-२९८ २९८-३०४ ३०४-३०८ ३०९-३२२ ३२२-- ३२५

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