Book Title: Tattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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तत्त्वार्थसूत्र की विषयानुक्रमणिका अनुक्रमाङ्क विषय
पहला अध्याय मंगलाचरण नवविध तत्वोंका निरूपण सू० १
१-८ जीव तत्वकाकिरूपण सू० २ भेद आदिसे जीवके विशेष स्वरूपका प्रतिपादन सू० ३
१५-१७ सामान्य जीवों के भेद निरूपण सू० ४
१८-२० संसारी जीवों के भेदका निरूपण सू० ५
२०-२२ प्रकारान्तरसे संसारी जीवों के द्विप्रकारता का निरूपण सू० ६ २२-२५ संसारी जीव के पर्याप्त अपर्याप्त रूप से द्वि प्रकारता का निरूपण सू० ७ २५-२६ त्रस एवं स्थावर जीवों का सविस्तर निरूपण सू० ८
२७-२८ पांचभेद प्रदर्शन पूर्वक संसारी जीवों के स्वरूप का निरूपण सू० ९ २८-२९ त्रस जीवों के विशेष स्वरूप एवं भेदों का निरूपण सू० १० २९-३४ सूक्ष्म जीवों के भेद और उनके स्वरूप का निरूपण सू० ११ ३४-३६ बादर जीवों के भेद का निरूपण सू. १२
३६-३७ मुक्त जीवोंके स्वरूप का निरूपण सू० १३
३७-३८ संसारी जीवों के स्वरूपभूत औदयिक आदि छह भेदों की प्ररूपणा पूर्वक षड्भाव का निरूपण सू० १४
३८-४५ औदयिक आदि छह भावों के प्रत्येक के भेदों का निरूपण सू० १५ ४५-५९ उपयोग का स्वरूप और उसके मेद का कथन सू० १६ ५९-६३ इन्द्रियों के स्वरूप का निरूपण सू० १७ प्रकारान्तर से इन्द्रियों का निरूपण सू० १८
६७-६८ लब्धि एवं उपयोगरूप भावेन्द्रिय के दो भेदों का निरूपण सू० १९ ६९-७१ निवृत्ति एवं उपकरणरूप दो भेद के कथनपूर्वक द्रव्येन्द्रिय का निरूपण सू० २०
७२-७७
2006
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર: ૧