Book Title: Tao Upnishad Part 04
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 362
________________ ताओ उपनिषद भाग ४ जीसस को जिस दिन सूली हुई, पांटियस पायलट ने, रोमन गवर्नर ने-जो उन्हें सूली की आज्ञा दिया-वह दर्शन-शास्त्र का विद्यार्थी था और उसने दर्शन-शास्त्र में बड़े ग्रंथ पढ़े थे। और यह जीसस के संबंध में लोग कहते हैं कि यह ईश्वर का पुत्र है और इसी गलत बात कहने के कारण उसे फांसी हो रही है। पर पांटियस पायलट को भी जीसस को देख कर लगा कि इस आदमी में कुछ बात तो ईश्वरीय है-इतना सरल और सीधा आदमी! तो इससे एक सवाल तो पूछ ही लूं। उसने पढ़ा था शास्त्रों में, और वही सवाल है सारे दर्शन का, कि सत्य क्या है? व्हाट इज़ ट्रथ? तो मरते वक्त-कहीं यह आदमी ईश्वर को बेटा ही न हो-इससे एक सवाल तो पूछ ही लेना चाहिए। पायलट पास गया और सूली के ठीक क्षण भर पहले उसने जीसस से पूछा कि इसके पहले तुम सूली पर जाओ, मुझे बताओ, व्हाट इज़ ट्रथ? सत्य क्या है? जीसस जो बोलने से कभी थकते नहीं थे, जीसस जो रात भर बोला करते थे, गांव के ग्रामीण, नासमझ लोगों में समझाते रहते थे, वे एकदम चुप हो गए, और पायलट के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया। नीत्शे ने व्यंग्य में लिखा है कि पायलट का उत्तर नहीं दिया, क्योंकि जीसस को उत्तर पता नहीं था। पायलट बुद्धिमान, शास्त्र का ज्ञाता, सुसंस्कृत, पढ़ा-लिखा आदमी था, रोमन वाइसराय था। जीसस ग्रामीण, बेपढ़े-लिखे, बढ़ई के लड़के थे। शायद जीसस को समझ में ही नहीं आया होगा कि पायलट क्या पूछ रहा है, सत्य क्या है? जीसस से पूछने का तो कोई उपाय नहीं कि तुम चुप क्यों रह गए। यह पहला ही मौका है जीसस के पूरे जीवन में जब किसी ने कुछ पूछा हो और वे चुप रह गए। अन्यथा तो वे खोजने जाते थे लोगों को कि कोई पूछे और वे उसको कहें। नीत्शे की बात तो मानी नहीं जा सकती, क्योंकि जीसस ने सत्य की पहले बहुत चर्चा की है। परम सत्य की ही चर्चा की है, और तो कोई चर्चा नहीं की। ऐसा भी नहीं माना जा सकता कि यह सवाल समझ में न आया होगा। लेकिन कारण दूसरा है। कारण इतना है कि पायलट एक टेक्नीशियन की तरह पूछ रहा है कि सत्य क्या है। इसमें कोई हृदय का भाव नहीं है, इसमें कोई जिज्ञासा नहीं है। एक पंडित का सवाल है, जो किताबों में उत्तर खोजने का आदी रहा है। इस सवाल में जीसस को कोई हृदय की भावना नहीं दिखाई पड़ी। यह कहीं हृदय से आया हुआ नहीं हैयह सिर्फ बुद्धि की खुजलाहट है। इसलिए जीसस चुप रह गए। इस चुप्पी से उन्होंने एक जवाब भी दिया कि जब बुद्धि पूछती हो तो चुप रहना ही जवाब है। और जब बुद्धि पूछती हो तो बुद्धि के द्वारा कभी कोई उत्तर नहीं पाया जा सका है। और जब तक बुद्धि चुप न हो जाए, जैसा जीसस चुप रह गए, तब तक सत्य की कोई प्रतीति संभव नहीं है। जीसस की पूर्णता बड़ी अपूर्ण मालूम होती है। जीसस के भक्तों का खयाल था कि जब वे सूली पर चढ़ेंगे तो कोई चमत्कार घटित होगा। क्योंकि पूर्ण पुरुष चमत्कार प्रकट करेगा। जीसस के छूने से मरीज कभी ठीक हो गए। जीसस के छूने से कथा थी कि लजारस मुर्दा था और जिंदा हो गया। और जीसस ने किसी अंधे की आंखों पर हाथ फेरा और आंखें खुल गईं। तो जिस जीसस के आस-पास ऐसी सैकड़ों घटनाएं घटी थीं, यह स्वाभाविक अपेक्षा थी कि सूली पर कोई चमत्कार घटित होगा। लेकिन जीसस सूली पर चुपचाप मर गए, जैसा कोई भी साधारण आदमी मर जाता। जरा भी असाधारणता प्रकट न हुई। और अकेले ही जीसस को सूली न लगी थी; साथ में दो चोर दोनों तरफ, उनको भी सूली दी थी। तीन आदमी एक साथ सूली पर लटकाए गए थे। जैसे दो चोर मर गए वैसे ही जीसस मर गए। जरा भी कुछ विशेष घटित न हुआ। धक्के की बात थी। भक्तों को भारी धक्का लगा होगा। क्योंकि भक्तों का गुरु गुरु नहीं होता, चमत्कार ही गुरु होता है। निराश हो गए होंगे। इतनी आशाएं बांधी थीं। जिसने ईश्वर के पुत्र होने का दावा किया था वह आखिर में साधारण मनुष्य का ही पुत्र सिद्ध हुआ। 352

Loading...

Page Navigation
1 ... 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444