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मार्ग स्वयं के भीतर से है
कैलोरी खर्च हो रही है, कितना श्रम हो रहा है, कितनी शरीर की ऊर्जा व्यय हो रही है। और यह आदमी कह रहा है कि मैं खेल कर ताजा हो जाऊंगा। दिन भर का थका हुआ आदमी खेल कर ताजा हो जाता है।
खेल में आदमी अभिनेता हो जाता है, कर्ता नहीं। और अगर कोई आदमी दिन भर ही खेल में हो, दुकान पर भी, बाजार में भी, तो उसके थकने का कोई उपाय नहीं है। और अगर आप खेल में भी काम बना लें। जैसे कुछ लोग -प्रोफेशनल होते हैं; फुटबाल का कोई खिलाड़ी है पेशेवर, वह थकता है। खेलता वह भी है, लेकिन वह थक कर
लौटता है। क्योंकि उसके लिए यह धंधा था। वह कोई खेलने नहीं गया था; उसका धंधा था। एक खेल में खेल कर उसे इतने रुपये मिल जाने हैं, उतने रुपये लेकर घर लौट आया। वह प्रोफेशनल है। प्रोफेशनल थक जाएगा, पेशेवर थक जाएगा। क्योंकि खेल उसके लिए काम हो गया।
अगर काम आपके लिए खेल हो जाए तो आपके थकने का कोई उपाय नहीं।
इसलिए संत कभी थका हुआ नहीं है। उसके भीतर वह सदा ताजा है; अनंत स्रोत से जुड़ा है। अहंकार से हट गया है तो परमात्मा से जुड़ गया है। मैं की क्षुद्रता से हट गया है तो परम ब्रह्म की विराटता से एक हो गया है। उस महास्रोत से जुड़ कर फिर वह निमित्त है, एक साधन मात्र है।
'और बिना कर्म किए संत सब कुछ संपन्न करता है।'
आज इतना ही।
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