Book Title: Suryapragnptisutram
Author(s): Malaygiri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 548
________________ १९प्राभूते चन्द्रसूर्यादिपरिमाणं सू१०० सूर्यप्रज्ञ संठाणसंठिते, ता कालोयणे णं समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवणं आहितेति तिवृत्तिः 8वदेजा ?, ता कालोयणे णं समुद्दे अट्ट जोयणसतसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं पन्नत्ते एकाणउतिजोयणसयसह(मल०) &स्साई सत्तरिं च सहस्साई छच्च पंचुत्तरे जोयणसते किंचिविसेसाधिए परिक्खेवेणं आहितेति वदेजा, ता कालोयणे णं समुद्दे केवतिया चंदा पभासेंसु वा ३ पुच्छा, ता कालोयणे समुद्दे बातालीसं चंदा पभासेंसु ॥२६९॥ वा ३ बायालीसं सूरिया तवेंसु वा ३ एक्कारस बावत्तरा णक्खत्तसता जोयं जोइंसु वा ३, तिन्नि सहस्सा &छच्च छन्नउया महगहसया चारं चरिंसु वा ३ अट्ठावीसं च सहस्साई बारस सयसहस्साई नव य सयाई |पण्णासा तारागणकोडिकोडीओ सोभं सोभेसु वा सोहंति वा सोभिस्संति वा "एक्काणउई सतराई सहस्साइं परिरतो तस्स । अहियाई छच्च पंचुत्तराई कालोदधिवरस्स ॥१॥ बातालीसं चंदा बातालीस &च दिणकरा दित्ता । कालोदधिमि एते चरंति संबद्धलेसागा ॥२॥णक्खत्तसहस्सं एगमेव छावत्तरं च सतमण्णं । छच्च सया छण्णउया महग्गहा तिण्णि य सहस्सा ॥ ३ ॥ अट्ठावीसं कालोदहिमि बारस य सहस्साई । णव य सया पण्णासा तारागणकोडिकोडीणं ॥४॥” ता कालोयं णं समुदं पुक्खरवरे णामं दीवे & वहे वलयाकारसंठाणसंठिते सवतो समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्टति, ता पुक्खरवरे णं दीवे किं समचक्क वालसंठिए विसमचक्कवालसंठिए ?, ता समचक्कवालसंठिए नो विसमचकवालसंठिए, ता पुखरवरे 1णं दीवे केवइयं समचक्कवालविक्खंभेणं?, केवइअं परिकूखेवेणं ?, ता सोलस जोयणसयसहस्साई ॥२६९॥ dain Education Internal For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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