________________
यदि मैं जीव हूं
यदि मैं जीव हूं, तो जीव मेरा नाम मैं अजीव, शरीर, इन्द्रियोंवाला, मन, द्रव्यकर्म, भावकर्म, नोकर्म जितना नहीं
यदि मैं जीव हूं, तो जीव मेरा नाम मैं तप, भक्ति, पूजा आदि क्रिया भी नहीं, क्रियायें मुझ जीव में होती ही नहीं
यदि मैं जीव हूं, तो जीव मेरा नाम जब मिलूं, जहां मिलूं, उसकी परवा नहीं, पर मिलना तो निज स्वरूप से ही
यदि मैं जीव हूं, तो जीव मेरा नाम स्वसंवेदन से भरा ज्ञान, शांति ही हूं मैं, इसी का ही वेदन मेरा स्व भी है
यदि मैं जीव हूं, तो जीव मेरा नाम समस्त अवस्थाओं का ज्ञान हो, अथवा हो भले वेदन भी, सभी ही ज्ञान ही है
यदि मैं जीव हूं, तो जीव मेरा नाम मुझे चैन-सुख-शांति स्व में ही है, किसी भी प्रकार से किसी भी पर में नहीं
यदि मैं जीव हूं, तो जीव मेरा नाम जब तक न मिले मुझ ही मुझे,फिर कैसे रहूं मैं शांत, क्या है मेरी खोज भी खूब निराली
115