Book Title: Surakshit Khatra
Author(s): Usha Maru
Publisher: Hansraj C Maru

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Page 202
________________ - मैं थकता नहीं संगीतकार, संगीत से कभी थकता नहीं भले उसका मुंह, हाथ, शरीर थक भी जाये चित्रकार, चित्रकला से कभी थकता नहीं भले उसके हाथ, पैर, शरीर थक भी जाये. ज्ञानी, ज्ञान में कभी भी थकता ही नहीं भले उसकी आंखे, मनबुद्धि, शरीर थक भी जाये ज्ञान, शरीर मनबुद्धि आंखों से है ही नहीं स्वयं में, स्वयं से, जानना सहज ही हो जाये. इस प्रकार जहां है रूचि, जैसी है रूचि, वहीँ मेरा वीर्य, फिर थकान का सवाल ही कैसे हो जाये रुचि-अनुयायी - वीर्य सिर्फ कहने की बात नहीं एक जीवन का सत है, थकान तो जैसे मिट ही जाये. 201

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