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मैं ही सब हूं
बीज का चांद निकला है, कुछ उजाला है अब तो पूनम ही आयेगी, उजियारा ही मेरा है मैं तो पूनम का चांद पूर्ण उजियारा ही हूं
झाड़ में कली खिली है फूल का इन्तजार है अब तो फूल ही खिलेगा महकती बगिया ही मेरी है मैं तो खिला सदैव महकता फूल ही हूं
आकाश तो बादलों से घिरा बिजली चमकी है अब तो बरखा बरसेगी, शीतलता ही मेरी है मैं तो शीतल स्वभाव वाला ही हूं
प्रातःकाल में सूरज की किरणें चमक रही हैं ठंडी हवा के झोंके हैं, रमणीयता ही मेरी है मैं अनंत गुणों में ही रमणता एक हूं
वृक्ष में तो फल लटक रहे हैं, मीठे ही हैं फलों से बगिया भरी है, मीठा स्वाद ही मेरा है मैं आनंद, सुख, वीर्य से सदैव भरपुर हूं
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