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जीना है, मरना नहीं, जानना है निज ज्ञान को, दुनिया को नहीं मेरे पूर्ण ज्ञान को जानना कैसा, इतना निर्मल सो सभी ज्ञेय झलक जायें मेरा ज्ञान ही सुख, शांतिमय, अविनाशी, जाननहार, अनंत शक्तियों से भरपूर, स्वाधीन, निर्विकल्प, अतीन्द्रिय, अबद्ध, ही है ज्ञायक दुनिया का ज्ञान, दुनिया में ही भटकने का बदलता अज्ञान है मेरा ज्ञान पूर्ण सत, निर्भय, जाननहार स्वयं स्वभाव में ही स्थिर.
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