Book Title: Surakshit Khatra
Author(s): Usha Maru
Publisher: Hansraj C Maru

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Page 196
________________ मुझे गवारा नहीं मैं जीव हूं जानना देखना ही मेरा काम इसके अलावा कुछ भी काम मुझे गवारा नहीं मैं हूं ज्ञानानंद ज्ञान ही, है मेरा आनंद और कोई भी प्रकार का ज्ञान तो गवारा नहीं. मैं जीव हूं जानना देखना ही मेरा काम इसके अलावा कुछ भी काम मुझे गवारा नहीं मैं हूं ज्ञानस्वरुप ज्ञान ही है पहचान मेरी और कोई भी पहचान तो मुझे गवारा नहीं. मैं जीव हूं जानना देखना ही मेरा काम इसके अलावा कुछ भी काम मुझे गवारा नहीं मैं हूं परिपूर्ण स्वपर को खुद ही खुद में जानूं और किसी तरह का जानना मुझे गवारा नहीं. मैं जीव हूं जानना देखना ही मेरा काम इसके अलावा कुछ भी काम मुझे गवारा नहीं मैं हूं स्वच्छ निर्मल इसीलिए दुनिया कहे ज्ञाता परन्तु दुनिया को भोगना मुझे गवारा नहीं. 195

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