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सुदर्शनचरितम्
सुदर्शन-चरित : विषय-परिचय
अधिकार १-महावीर-समागम
वृषभादि चौबीस तीर्थंकरोंकी वन्दना ( १-१५ ) त्रिकालवर्ती अन्य जिनेन्द्रोंसे शक्तिको प्रार्थना (१६) सिद्धोंकी संस्तुति (१७) सरस्वतीकी संस्तुति (१८) जिनवाणीकी स्तुति (१९) गौतम आदि गणधरोंको नमस्कार (२०) कुन्दकुन्द, उमास्वामी, समन्तभद्र, पात्रकेसरी, अकलंक, जिनसेन, रत्नकोति, गुणभद्र, प्रभाचन्द्र, देवेन्द्रकीर्ति, आशाधर मुनियोंका संस्मरण तथा ग्रन्थ रचनाको प्रतिज्ञा (२१-३३), आत्मविनय व सुदर्शन चरितका माहात्म्य (३४.३६), जम्बूद्वीप, भरतक्षेत्र, मगधदेश व राजगृह नगर (३७.५७), राजा श्रेणिक, रानी चेलना व वारिषेण आदि पुत्रोंका वर्णन (५८-६८) विपुलाचलपर महावीर स्वामोका आगमन व उसका पर्वत तथा पशुओंपर प्रभाव (६९-७७), वनपालका राजा श्रेणिकके संवाद व राजाका प्रजाजनों सहित चलकर समवसरण दर्शन (७८-८९), समवसरणमें मानस्तम्भ, सरोवर, खातिका, पुष्पवाटिका, गोपुर, नाट्यशाला, उपवन, वेदिका सभा, रूप्यशाला, कल्पवृक्ष-वन, हावली, महास्तूप, स्फटिकशाला तथा जिनेन्द्र के सभा-स्थानका त्रिमेखलापीठ दिव्य-चमर, अशोक वृक्ष आदिका वर्णन (९०-११७), श्रेणिक द्वारा जिनेन्द्रको पूजा व स्तुति (११८-१३१) ।
अधिकार २-श्रावकाचार तत्त्वोपदेश
जिनेन्द्र स्तुति (१), श्रेणिक नरेशका गौतमसे धर्म विषयक प्रश्न (२), दर्शन-ज्ञान चारित्र, अणुव्रत-महाव्रत सप्ततत्त्व, एवं कर्मबन्ध और मोक्ष (३-८८)।
अधिकार ३-सुदर्शन-जन्म-महोत्सव
राजा श्रेणिकका गौतम गणधरसे पंचम अन्तकृत्केवली सुदर्शन मुनिके चरित्र वर्णनको प्रार्थना (१-४), गौतम स्वामोका उत्तर। अंग देशका वर्णन (५-३०), चम्पापुरी वर्णन (३१-४२), राजा घात्रीवाहनका वर्णन (४३-५१), रानी अभय
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