Book Title: Sudarshan Charitam
Author(s): Vidyanandi, Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 138
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -१२, ५१] द्वादशोऽधिकारः तत्पट्टपद्माकरभास्करोऽत्र देवेन्द्रकीर्तिर्मुनिचक्रवर्ती । तत्पादपङ्केजसुभक्तियुक्तो विद्यादिनन्दीचरितं चकार ॥४२॥ तत्पादपट्टेजनि मल्लिभूषणगुरुश्चारित्रचूडामणिः संसाराम्बुधितारणकचतुरश्चिन्तामणिः प्राणिनाम् । सूरिश्रीश्रुतसागरो गुणनिधिः श्रीसिंहनन्दी गुरुः सर्वे ते यतिसत्तमाः शुभतराः कुर्वन्तु वो मङ्गलम् ॥५०॥ गुरूणामुपदेशेन सच्चरित्रमिदं शुभम् । नेमिदत्तो व्रती भक्त्या भावयामास शर्मदम् ॥५१॥ इति श्रीसुदर्शनचरिते पञ्चनमस्कारमाहात्म्यप्रदर्शके मुमुक्षुश्रीविद्यानन्दिविरचिते सुदर्शनमहामनिमोक्षलक्ष्मीसंप्राप्तिब्यावर्णनो नाम द्वादशोऽधिकारः समाप्तः। ॥शुभं भवतु॥ ग्रन्थ संख्याश्लोक १३६२॥ संवत् १५९१ वर्षे अषाढमासे शुक्लपक्षे । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180