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सुदर्शनचरितम् आगमन, गन्धकुटी निर्माण, स्तुति तथा धर्मोपदेशकी प्रार्थना (६१-७६) । केवली द्वारा मुनि व श्रावक, आचार्यका तथा तत्त्वों, द्रव्यों व पदार्थका उपदेश (७७-८३) व्यन्तरीका कोप शमन और सम्यक्त्व ग्रहण (८४-८५) । सेठ सुकान्त व मनोरमाका आगमन व मनोरमा का आयिका व्रत धारण । पंडिताको आत्मनिन्दा व व्रतग्रहण । केवलज्ञानकी महिमा (८६-९६) । अधिकार-१२ सुदर्शन मुनिकी मोक्षप्राप्ति
सुदर्शन केवलीका मोक्ष विहार व धर्मोपदेश व आयुके अन्त में छत्र चमरादि विभूतिका त्याग कर मौन ध्यान अयोग केवली गुणस्थानकी प्राप्ति । अघाति कर्मोका क्रमशः क्षय तथा सिद्ध बुद्ध व निरावाध होकर शरीरका त्याग मोक्ष गमन (१-१७)। सिद्धोंके गुण तथा पंचनमस्कार मंत्रका माहात्म्य (१८-३७) । सुदर्शन चरित्रको पढ़ने-पढ़ाने तथा लिखने एवं सुनने वालोंको सुख एवं मोक्षको प्राप्ति (३८-३९)। ___ गौतम स्वामी से यह चरित्र सुनकर राजा श्रेणिक व अन्य नगरवासियोंका राजगृह लौटना (४०-४१) । गंधारपुरीके जैन मंदिरमें इस सुदर्शन चरित्रके रचे जानेकी सूचना (४२)। सुदर्शन चरित्र तथा पंचपरमेष्ठीको महिमा (४३-४६) । मूलसंघ भारतीय-गच्छ बलात्कार गणके मुनि कुन्दकुन्द के वंशमें प्रभाचन्द्र मुनि उनके पट्ट पर मुनि-पद्मनन्दि भट्टारक उनके पट्टपर देवेन्द्रकीर्ति मुनि उनके शिष्य विद्यानन्दि द्वारा यह चरित्र रचे जानेको सूचना (४७-४९)। देवेन्द्रकीतिके पट्टपर मल्लिभूषण गुरु तथा श्रुतसागर-सूरि सिंहनन्दि गुरुका स्मरण और उसमें मंगल प्रार्थना (५०)। गुरुके उपदेशसे नेमिदत्तव्रती द्वारा इस चरित्रकी भावनाकी सूचना एवं ग्रंथ समाप्ति (५१)।
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