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प्रस्तावना
मतीका वर्णन (५२-५५), सेठ वृषभदासका वर्णन (५६-६२), सेठानी जिनवतोका वर्णन (६३-६७), सेठानीका स्वप्न तथा पतिसे निवेदन (६८-७२), सेठ वृषभदास द्वारा रानीके स्वप्न सुनकर प्रसन्नता। जिनमन्दिर गमन । ज्ञानी गुरुसे प्रश्न तथा मुनि द्वारा स्वप्नों का फल वर्णन (०३-८३), सेठानी को प्रसन्नता व गृहगमन (८४-८७), सेठानीका धर्मधारण व धर्मचर्या (८८-९२), पुत्र जन्म और उसका महोत्सव (९३-१०७)। अधिकार ४-सुदर्शन-मनोरमा-विवाह
बालक सुदर्शनका संवर्धन व सौन्दर्य (१-२६), सुदर्शनका विद्या-ग्रहण (२७-३५), उसी नगरके सेठ सागरदत्त और सेठानी सागरसेनाकी पुत्री मनोरमा
और उसका रूप वर्णन (३६.५८), सुदर्शनका अपने मित्र कपिल के साथ नगरका पर्यटन व पूजाके निमित्त जाती हुई मनोरमाके दर्शन (५९-६४) सुदर्शनका अपने मित्र कपिलसे उसके सम्बन्धमें प्रश्न, तथा कपिल द्वारा उसका परिचय (६५-- १), कुमारका मोहित होना। घर आकर शैया-ग्रहण । अन्न-पान विस्मरण । मोहयुक्त प्रलाप (७२-७६), पिताको चिन्ता तथा कपिलसे कुमारकी दशाके कारणको जानकारी (७७-७९), पिताका सागरदत्तके घर जाना। वहीं मनोरमाकी भी काम-दशा (८०-८८), सेठ वृषभदास और सागरदत्तका वार्तालाप । विवाहका प्रस्ताव व स्वीकृति, ज्योतिषीका आगमन एवं विवाह-तिथिका निर्णय । पूजाअर्चन तथा विवाहोत्सव (८९-११७) । अधिकार ५-सुदर्शनकी श्रेष्ठिपद-प्राप्ति
दम्पतिके भोगोपभोग व मनोरमाका गर्भधारण व पुत्र-जन्म (१-५) वृषभदास सेठका धर्माचरण । समाधिगुप्त मुनिका आगमन । वनपालका भूपतिसे निवेदन तथा भूपतिका वृषभादि नगरजनों सहित मुनिके दर्शनहेतु तपोवन गमन । मुनिवन्दन एवं मुनिका धर्मोपदेश (६-२३)। मुनि और श्रावकके भेदसे धर्माचरणका उपदेश (२४-६२), राजा तथा भव्यजनों द्वारा व्रतग्रहण एवं वृषभदास सेठकी वैराग्य-भावना (६३-७३)। सेठको मुनिसे दीक्षा देनेकी प्रार्थना तथा मुनिकी अमनुति । सेठ द्वारा राजासे सुदर्शनके पालनको प्रार्थना। राजाकी स्वीकृति एवं
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