Book Title: Stambhanadhish Prabandh sangraha Bhumika
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 5
________________ पाटणनी प्रतिमा २४ २५, २८ २९, ३२-३३, ४३, ५६. ८२, ८४ एम कुल १० पत्रो नथी. तेथी ग्रंथ त अंशे खंडित छे. बीजी प्रतिओ मेळववा माटे अनक भंडारोमां शोध करी. परंतु आ ग्रंथनी प्रति क्यायथी मळी नहि. हा, आ ग्रंथना सारोद्धाररूप लखायेली कतिनी २ प्रतिओ जरूर मळी पण ते कति आ रचनाना तूटता पाठने सांधवा माटे सक्षम नथी जणाई. पाटण - प्रतिना अंतिम-९३मा पत्र पर "मेरुतुंगसूरिकृतस्तंभनाधीशप्रबन्धाः ३२" आवो उल्लेख होवाथी आ संपादनमां "स्तंभनाधीशप्रबन्धसंग्रह" एवं नाम आपेल छे. पाटणनी प्रतिनी नकल आपवा बदल पाटण हेमचन्द्राचार्य भंडारना कार्यवाहको प्रत्ये, तथा प्रतिनी प्रेस कॉपी आपवा बदल प्राकृत ग्रन्थ परिषद्(PTS) ना कार्यवाहको प्रत्ये आभारनी लागणी दर्शायूँ छु. *** Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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