________________
हिन्दी अनुवाद
ज्वलनप्रभ द्वारा पूछने पर केवली भगवंत ने कहा- 'तुझे राज्य मिलेगा, भवापिस पूछा- कब मिलेगा? अत: केवलज्ञान के द्वारा ज्ञात परमार्थवाले मुनि कहते
गाहा
भाणुगइ-दिन-रोहिणि-विज्जाए साहियाए ते भद्द! ।
होही पुणरवि खयराहिवत्तणं नत्थि संदेहो ।।९३।। संस्कृत छाया
श्रमण नो उत्तर भानुगति-दत्त- रोहिणीविद्यायां सधितायां ते भद्र !।
भविष्यति पुनरपि खचराधिपतित्वम् नास्ति सन्देहः ।। ९३।। गुजराती अर्थ
'हे भद्र! यानुगतिर आपेल रोहिणीविद्या ने साधवाथी फरि पण ताटुं खेचरेश्वरत्व थशे एमां कोई ज सन्देह नथी।' हिन्दी अनुवाद
हे भद्र! भानगति द्वारा अर्पित की गई रोहिणी विद्या को सिद्ध करके पुनः तुम खेचरेश्वर बनेगा यह बात नि:सन्देह है! गाहा
एवं मुणिणा भणिए पहसिय- वयणेहिं वंदिओ भयवं ।
एत्यंतरम्मि परिसा जहागयं पडिगया सव्वा ।। ९४।। संस्कृत छाया
एवं मुनिना भणिते प्रहसितवदनाभ्यां वन्दितो भगवान् ।
अत्रान्तरे परिषद् यथागतं प्रतिगता सर्वा ।।९४।। गुजराती अर्थ
आ प्रमाणे मुनिरा कहे छते प्रसन्न मुखवाळा ते चे जणे मुनि भगवंतने वन्दन कर्या, स्टलीवार मां संपूर्ण सध्या जेम आवी तेम पाछी गयी! हिन्दी अनुवाद
इस प्रकार मुनि के कहने पर हर्षित मुखवाले होकर दोनों ने वन्दन किया, इतनी देर में संपूर्ण सभा जैसी आई वैसी बिखर गई!
256