Book Title: Sramana 2007 10
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 224
________________ हिन्दी अनुवाद अब उसकी बात पूर्ण हो गई है। अब कोई उपाय नहीं है। आज ही रात्रि में उसका विवाह होने वाला है। गाहा चित्तगई भणइ तओ एक्कोवि य तीए पावणोवाओ । मह फुरइ माणसम्मी जइ तुह पडिहासए सुयणु! ।। २४०।। संस्कृत छाया चित्रगतिर्भणति तत एकोऽपि च तस्याः प्रापणोपायः । मम स्फुरति मानसे यदि ते प्रतिभासते सुतनो! ।। २४०।। गुजराती अर्थ त्यारपछी चित्रगति कहे छे! हे सुतनो! माय मनमां तेणीने मेळववानो एक उपाय स्फुरायमान थाय छे. सुंदर! हिन्दी अनुवाद___बाद में चित्रगति कहता है- हे सुतनु! यदि तुझे पसंद आये तो मेरे मन में उसकी प्राप्ति के लिए एक उपाय स्फुरित हो रहा है। गाहा भणियं च मए को सो? तत्तो सो भणइ भद्द! निसुणेसु । किल एसो कुलायारो दक्खिण-सेढीए खयराण ।। २४१।। संस्कृत छाया चित्रगतिनुं कपट भणितं च मया कः स? ततः स भणति भद्र! निश्रुणु । किलैष कुलाचारो दक्षिणश्रेण्यां खचराणाम्।। २४१। गुजराती अर्थ____त्यारे में कहयु कयो ते उपाय छे? त्यार पछी तेणे कहयुं हे भद्र! सांभळ! खटेरवर दक्षिण श्रेणी मां रहेता विधाधोनो नो आ ए कुलाचार छे! हिन्दी अनुवाद तब मैंने कहा- वह कौन-सा उपाय है? अत: उसने कहा हे! भद्र! सुन, दक्षिणश्रेणि में रहते विधाधरों का यह एक कुलाचार है। 316

Loading...

Page Navigation
1 ... 222 223 224 225 226 227 228 229 230