Book Title: Sramana 2007 10
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 227
________________ गुजराती अर्थ हे भद्र! आ प्रमाणे करे छते तेणीनी प्राप्ति थशे अन्यथा नही, अने आम करवा थी देवतानु वचन पण सत्य थाय। हिन्दी अनुवाद . हे भद्र! इस प्रकार से करने पर तुझे उसकी प्राप्ति होगी, अन्यथा ऐसा करने से देवताओं का भी वचन सत्य होगा। गाहा किंच। पुरिसेण पुरिसयारो कायव्वो ताव इच्छियत्यम्मि । विहिणो निओगओ पुण हवइ हु कज्जस्स निष्फत्ती ।। २४७।। संस्कृत छाया किञ्च, पुरुषेण पुरुषकारः कर्तव्य तावदिष्टार्थे । विधेर्नियोगतः पुनर्भवति खलु कार्यस्य निष्पत्तिः ।।२४७।। गुजराती अर्थ परन्तु इच्छित नी प्राप्ति माटे पुरुषे पुरुषार्थ करवो जोइस. त्यार पछी कार्यनी सिद्धि निश्चे कर्मानुसार थाय छ। हिन्दी अनुवाद किन्तु इच्छित की प्राप्ति के लिए पुरुष को पुरुषार्थ करना चाहिए। बाद में विधि योग से कार्य की सिद्धि होती है। गाहाएवं च तेण कहिए उचिए उवाए आगामियं गरुय-दुक्खमचिंतिऊणं । भो सुप्पइट्ठ! वयणं पडिवनयं से तिव्वाणुराग-परिमोहियमाणसेण । २४८। संस्कृत छायाएवं च तेन कथिते उचिते उपाये, आगामिकं गुरुदुःखमचिन्तयित्वा । भोः सुप्रतिष्ठ! वचनं प्रतिपन्नं तस्य तीव्रानुराग-परिमोहित-मानसेन ।। २४८ 319

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