Book Title: Sramana 2007 10
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 225
________________ गाहा - कन्ना विवाह- समए एकल्ला पूयए कुसुमबाणं । निय - कुल-कमागयं अह परिणिज्जइ सा तओ पच्छा ।। २४२ ।। संस्कृत छाया कन्या विवाह- समये एका पूजयति कुसुमबाणम् । निजकुलक्रमागतमथ परिणयति सा ततः पश्चात् ।। २४२ ।। गुजराती अर्थ पोताना कुलक्रमथी आवेला आचार प्रमाणे विवाह समये कन्या एकली कामदेवनी पूजा करे छे अने त्यार पछी ज लग्न करे छे। हिन्दी अनुवाद अपने कुलक्रम से आये आचार का पालन करती कन्या विवाह के वक्त अकेली ही कामदेव की पूजा करती है और बाद में ही शादी करती है। गाहा तं कममणुपालिंती सा एही मयण- पूयण निमित्तं । अम्हे पुण दोवि जणा पुव्वं चिय इत्थ पविसामो ।। २४३ ।। संस्कृत छाया तं क्रममनुपालयन्ती सा एष्यति मदनपूजननिमित्तम् । आवां पुनर्द्वावपि जनौ पूर्वमेवाऽत्र प्रविशावः ।। ३४३ ।। गुजराती अर्थ ते कुलाचारनुं पालन करती कामदेवनी पूजा ने माटे आवशे, वळी आपणे बन्ने पहेले थी ज अहीं मन्दिर मां प्रवेशी (छुपाई) जईए । हिन्दी अनुवाद उस कुलाचार का अनुकरण करती हुई कन्या मदन पूजा के लिए आयेगी अतः हम दोनों पहले से ही मन्दिर में प्रवेश करें । गाहा अह तीए आगयाए नेवत्यं तीए संतयं अहयं । घित्तूण इत्थि - रूवो गच्छिस्सं वरय पासम्मि ।। २४४ । । 317 -

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