Book Title: Sramana 2007 10
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 223
________________ गुजराती अर्थ तो पण निश्चये आत्मवध तो योग्य ज नथी परंतु हृदयवल्लभानी जे रीते प्राप्ति थाय ते प्रमाणे साचे ज उपाय विचारवो जोईए । हिन्दी अनुवाद फिर भी निश्चित ही आत्मवध योग्य नहीं है, किन्तु प्राणप्रिया की जिस तरह प्राप्ति हो वैसा उपाय वास्तव में सोचना चाहिए। गाहा भो सुप्पइ ! एवं वज्जरिए तेण चित्तगइणा ओ । दीहं नीससिऊणं एवं हि मए समुल्लवियं । । २३८ । । संस्कृत छाया भोः सुप्रतिष्ठ! एवं कथिते तेन चित्रगतिना ओ ! । दीर्घं निःश्वस्यैवं हि मया समुल्लपितम् ।। २३८ ।। गुजराती अर्थ हे सुप्रतिष्ठ! ते चित्रगति वड़े आ प्रमाणे कहाये छते दीर्घ नीसासो लई ने मे आ प्रमाणे कहयुं । हिन्दी अनुवाद हे सुप्रतिष्ठ! उस चित्रगति के इस प्रकार कहने पर दीर्घ निःश्वास लेकर मैंने इस प्रकार कहा गाहा वोलीणा तीइ कहा न हु इण्डिं अत्थि कोवि उवाओ । अज्जेव य रयणीए जं होही तीइ वीवाहो ।। २३९ ।। संस्कृत छाया गंता तस्याः कथा, न खल्विदानीमस्ति कोऽप्युपायः । अद्यैव च रजन्यां यद् भविष्यति तस्या विवाहः ।। २३९ ।। गुजराती अर्थ हवे तेणीनी वात गई हवे कोई ज उपाय नथी. आजे ज रात्री मां तेणीनो विवाह थवानी छे । 315

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