Book Title: Sramana 2007 10
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 228
________________ गुजराती अर्थ हे सुप्रतिष्ठ! आ प्रमाणे तेना वड़े उचित उपाय कहेवाये छते याविना । भारे दुःखनो विचार कर्या वगर तीव्र अनुराग थी मोहित थयेला मन बड़े में तेनु वचन स्वीकार्यु। हिन्दी अनुवाद हे सुप्रतिष्ठ! इस प्रकार उसके द्वारा उचित उपाय कहने पर भविष्य के दु:ख को सोचे बिना तीव्र अनुराग से मोहित हुए मैंने उसका वचन स्वीकारा। गाहा साहु-धणेसर-विरइय-सुबोह- गाहा-समूह- रम्माए। रागग्गि-दोस-विसहर-पसमण-जल-मंत-भूयाए ।।२४९।। एसोवि कणगमाला-पावण-उवएस-सूयगो भणिओ । सुरसुंदरी-कहाए पंचमओ वरं परिच्छेओ ।। २५०।। संस्कृत छाया साधु धनेश्वर-विरचित-सुबोधगाथा-समूह- रम्यायाम् । रागाग्निदोस(द्वेष)-विषधरप्रशमन-जलमन्त्राभूतायाम्।। २४९।। एषोऽपि कनकमाला-प्रापणोपदेश-सूचको भणितः । सुरसुन्दरी-कथायाम् पञ्चमो वरं परिच्छेदः ।।२५०।। ॥पञ्चमः परिच्छेदः समाप्तः ।। गुजराती अर्थ साधु धनेश्वरे रचेलु साराबोध वाळी गाथाना समूहथी मनोहर, राग रूपी आग अने द्वेष रुपी साप ने शांत कटवा माटे जल अने मंत्र समान.. एवो आ कनकमालानी प्राप्तिना उपदेश सूचक सुरसुंदरी कथानो पांचमो परिच्छेद सारी रीते कहेवायो। हिन्दी अनुवाद साधु धनेश्वर द्वारा रचित सुबोध गाथा के समूह से मनोहर राग रूपी आग और द्वेष रूपी साँप को शांत करने के लिए जल और मंत्र समान ऐसा यह कनकमाला की प्राप्ति का उपदेश सूचक सुरसुंदरी कथा का पांचवा परिच्छेद अच्छी तरह कहा गया। पाँचवाँ परिच्छेद समाप्त ।। 320

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