Book Title: Sramana 2007 10
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 199
________________ गुजराती अर्थ सवारे नगर पासे आवेला तेणे लोको थी रहित शून्य धवलगृहोवाळु नगरनी शोधाथी रहित उज्जड जंगल जेवु नगर जोयु! हिन्दी अनुवाद नगर के पास आते ही लोक से रहित शून्य धवलगृह और नगरलक्ष्मी की शोभा से रहित उज्जड़ जंगल जैसा नगर देखा। गाहा अह पिच्छिऊण तं सो विम्हिय-हियओ मणेण चिंतेइ । कत्तो हंत! अकंडे पुरमेयं उव्वसं जायं? ।।१८१।। संस्कृत छाया अथ प्रेक्ष्य तत् स विस्मितहृदयो मनसा चिन्तयति । कस्माद् हन्त! अकाण्डे पुर- मेतदुद्वसं जातम्? ।। १८१।। गुजराती अर्थ हवे आव॒ आ नगर जोईने विस्मितहृदयवाळो मनथी आ प्रमाणे विचारे . छे. अटे आकस्मिकज आ नगर एकदम ज केम जंगल जेवु उज्जड थई गयु छ। हिन्दी अनुवाद नगर को ऊजड़ देखकर विस्मित हृदय से मन में सोचने लगा, अरे! (अचानक) आकस्मिक ही यह गाँव जंगल की तरह उजाड कैसे बन गया? गाहा किं होज्ज इंदयालं अहवा सच्चं हि उव्वसं एयं । किं कुविएण सुरेणं अवहरियमिमाओ ठाणाओ ।।१८२।। अहवा भयाओ कस्सवि नट्ठो लोगो इमाओ नयराओ। एवं विचिंतयंतो चित्तगई पविसई जाव ।। १८३।। तावय संमुहमिंतो एगो पुरिसो पुलोइओ तेण । उवयार-पुवयं सो महुर-गिराए इमं भणिओ ।।१८४।। । तिसृभिः कुलकम् ।। 291

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