Book Title: Sramana 2007 10
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 205
________________ गुजराती अर्थ ज्वलनप्रभ ने विद्यासिद्ध थई छे आ प्रमाणे जाणी ने विद्यारहित कनकप्रय अहीं रहेवा माटे अशक्त थयेल एवो ते (अहीं थी) भागी गयो। हिन्दी अनुवाद अब ज्वलनप्रभ की विद्या सिद्ध हो गई है ऐसा जानकर, यहाँ रहने में असमर्थ विद्याविहीन कनकप्रभ यहाँ से भाग गया। गाहा गंगावत्तम्मि गओ भय-भीओ दक्खिणाए सेढीए । सिरि-गंधवाहणस्स ओ सरणं सह नाइ-वग्गेणं ।।१९६।। संस्कृत छाया गङ्गावर्ते गतो भयभीतो दक्षिणस्यां श्रेण्याम् ।। श्रीगन्यवाहनस्य ओ। शरणं सह ज्ञातिवर्गेण ।।१९६।। गुजराती अर्थ यथी डरेलो ते स्वजनवर्ग सहित दक्षिण श्रेणीमा गङ्गावर्तमां श्रीगन्धवाहन राजाना शरणे गयो। हिन्दी अनुवाद भय से डरा हुआ कनकप्रभ राजा स्वजन वर्ग सहित दक्षिण श्रेणि में गङ्गावर्त गाँव के राजा श्रीगन्धवाहन के शरण में गया। गाहा नाऊण वइयरमिणं खुहिओ सव्वोवि नायरो लोगो । पहु-रहिओ भय- भीओ अवरोप्परमेवमुल्लवइ ।।१९७।। संस्कृत छाया ज्ञात्वा व्यतिकर-मिदं क्षुभितः सर्वोऽपि नागरो लोकः । प्रभुरहितो भयभीतः परस्परमेव- मुल्लपति ।।१९७।। गुजराती अर्थ आ प्रमाणे नी हकिकत जाणीने सर्वे पण नगरवासी लोक क्षोभ पाम्यो अने स्वामी रहित भयभीत थयेलो परस्पर आ प्रमाणे घोलवा लाग्यो। 297

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