Book Title: Sramana 2007 10
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 192
________________ हिन्दी अनुवाद तेजहीन ऐसा यह सूरज भी अस्तगिरि के शिखर का आश्रय लेता है। अत: , हे कुमार! अब हम अपने स्थान पर चले। यहाँ विलम्ब न करें। गाहा तव्वयणं सोऊणं काउं आगार-संवरं भणइ । एवं करेसु (करेमु?) नवरं कारणमेयं विलंबस्स ।।१६४।। संस्कृत छाया तद्वचनं श्रुत्वा कृत्वाऽऽकारसंवरं भणति । एवं करवाणि केवलं कारण-मेतद् विलम्बस्य ।।१६४।। गुजराती अर्थ स वचन सांभळी ने पोताना शरीर ने ठीक कटीने कहे छे. "हा" हुं आम कटु पण अहीं विलंच करवामां कारण छ। हिन्दी अनुवाद ऐसे वचन सुनकर अपने शरीर को संभाल करके कहता है- "हां" मै ऐसा करूं किन्तु यहाँ विलम्ब का यह कारण है। गाहा मह हत्थाओ पडियं मुद्दा- रयणं तु एत्थ कत्थवि य । तं गविसिउं पभाए झडत्ति अहमागमिस्सामि ।।१६५।। संस्कृत छाया मम हस्तात् पतितं मुद्रारत्नं त्वत्र कुत्रापि च । तद् गवेषयित्वा प्रभाते झटित्यहमागमिष्यामि ।।१६५।। गुजराती अर्थ मारा हाथमाथी वीटी अहीं क्यांक पड़ी गइ छे. ते शोधी ने सवार मां हुँ जल्दीथी आवी जईश। हिन्दी अनुवाद मेरे हाथ में से अंगुठी यहाँ कहीं गिर गई है, उसे ढूँढकर मैं सुबह में जल्दी लौट आऊंगा। गाहा तं पुण गच्छसु सिग्घं कहेज्ज जलणप्पहस्स वुत्तंतं । ईसि हसिऊण तओ दमघोसो. एवमुल्लवइ ।।१६६।। 284

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