Book Title: Sramana 1993 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 29
________________ 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. सन्दर्भ मालवणिया, दलसुख भाई, 'आत्ममीमांसा' - जैन संस्कृति संशोधन मण्डल, वाराणसी, पृ. 951 श्वेताश्वतर उपनिषद् मुणी मोणं समादाय धुणे कम्मसरीरंग 1/2/6/163 आचारांग - अंगसुत्ताणि प्रथम, मुनि नथमल जैन विश्वभारती लाडनू, प्रथम सं. 1974 1 डा. जैन, परमेष्ठीदास, आचारांग सूत्र एक अध्ययन, पा. वि. शोध संस्थान, वाराणसी - 5, प्रथम सं. 1987, पृ. 130 ! जे गुणे से आवट्टे, जे आवट्टे से गुणे 1/1/5/93 आचारांग वही वही से आयावाई, लोगावाइ, कम्भावाई, किरियावाई 1/1/5 वही अपरिणाय कम्मे खलु अयं पुरिसे... अणेगरुवाओ जोणीओ संघइ । 1/1/1/8 एवं से हु मुणी परिणाय कम्म, 1/1/1/12 वही, कम्मुणा उवाही जायइ, 1/3/1/8/9 8. 9. वही, अकम्मस्स, 1/3/1/18 10. वही, णिक्कमदंसी, 1/3/2/35 11. वही सन्दर्भ 3 12. कम्ममूलं च जं कूण, 1/1/3/21 कामेसुगिद्धाणिचयं करोति, 1/1/3/31 13. मोहेण गब्भं मरणाइ एति, 1/5/1/7 14. एगया गुण समियस्स रीयतो कायसंफास समणुचिण्ससा एगतिया पाणा उददायंति । इहलोग- वेयण वेज्जावडियं ।। 1/5/4/71-72 15. जे आसवा ते परिस्सवा, जे परिस्सवा ते आसवा, 1/4/2/134 16. सयमेव कडेहिं गाहंति, सूत्रकृतांग, 2/1/4 17. जं जारिसं पुव्वमकासि कम्मं तमव आगच्छति सम्पराएं एवं जहांकडं कम्म तहासिभारे, 5/2/23 एवं 5/1/26 18 सव्वे सयकम्मकप्पिया, वही, 2/3/17 19. वही, 2/3/17 व 2/1/4 20. से जाइजाइं बहुकूरकम्मे, जं कुव्वइ भिज्जइ तेण वाले । 21. वही, 1/2/26-27 22. वही, Jain Education International 27 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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