________________ पाटलीपुत्र का इतिवृत्त नामक कथा में पाटलीपुत्र के नामकरण की विवेचना मिलती है। शकुनिका विहार कथा में लेखक ने भड़ौच की जामा मस्जिद के बारे में लिखा है -- 'शकुनिका विहार जैन मन्दिर को ईस्वी सन् 1329 में गयासुद्दीन तुगलक ने मस्जिद में रूपान्तरित कर दिया।' ऐसा जामा मस्जिद के पुरातत्त्व विभाग के प्लेट में लिखा है। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। इसमें वर्णित अन्य कथाओं में भी न केवल मनोरंजन है अपितु जीवन और दर्शन के अनेक सत्य उघाटित होते हैं। इस पुस्तक का आमुख विद्वान सम्पादक डॉ. नेमीचन्दजी जैन द्वारा लिखा गया है। इसके साथ इस पुस्तक के अन्त में कुछ महत्त्वपूर्ण सम्मतियाँ भी हैं। पुस्तक की साज-सज्जा सुन्दर है। भाषा सरल, मुद्रण सुन्दर एवं निर्दोष हैं। पुस्तक पठनीय एवं संग्रहणीय है। "वर्द्धमान महावीर", लेखक - गणेश ललवानी, अनुवाद - राजकुमारी बेगानी, प्रकाशिका - पुष्पावैद, 16 महेन्द्रराय लेन, गोबरा, कलकत्ता, आकार - डिमाई, अठपेजी, पृ.सं. 159, प्रथम संस्करण 1993, मूल्य 60/- मात्र। प्रस्तुत पुस्तक गणेश ललवानी द्वारा मूल बंगला में लिखित 'वर्द्धमान महावीर' का हिन्दी रूपान्तर है। श्रीमती राजकुमारी बेगानी ने लेखक के मूल भावों को सघन एवं सक्षम रूप से हिन्दी में प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक में भगवान महावीर के जीवन की अनेक घटनाओं का सजीव चित्रण किया गया है। साथ ही वर्द्धमान के जीवन पर आधारित पुष्पा वैद द्वारा बनाये गये महत्त्वपूर्ण एवं सुन्दर बहुरंगी चित्र भी इस पुस्तक में दिये गये हैं जिससे पुस्तक का महत्त्व और भी बढ़ गया है। पुस्तक महावीर स्वामी के जीवन के विविध पहलुओं को अत्यन्त मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत करती है। इसकी साज-सज्जा आकर्षक और मुद्रण निर्दोष है। पुस्तक पठनीय एवं उपयोगी है। "जैनदर्शन और कबीर एक तुलनात्मक अध्ययन", लेखिका - साध्वी डॉ. मंजुश्री, प्रकाशक -- आदित्य प्रकाशन, नई दिल्ली, प्रथम संस्करण, 1992, आकार - डिमाई अठपेजी, पृ. 456, मूल्य 450/- मात्र। प्रस्तुत कृति साध्वी मंजुश्री जी की शोध कृति है जिस पर उन्हें पूना विश्वविद्यालय से Jain Education International For Private personal Use Only www.jainelibrary.org