________________ पुस्तक-समीक्षा "शब्दों की गागर में आगम का सागर", लेखक - आचार्य श्री देवेन्द्रमुनि, प्रकाशक - श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर, प्रकाशन वर्ष - 1682, पृ. 218, मूल्य 50/- मात्र। प्रस्तुत कृति में आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी ने तीन महत्त्वपूर्ण आगमों आचारांग, स्थानांग एवं समवायांग की विषयवस्तु का तुलनात्मक विवेचन प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक के तीन खण्ड हैं। प्रथम खण्ड में आचारांगसूत्र का अन्तरंग दर्शन, आचारांग का व्याख्या साहित्य, इस आगम से चुने हुए सुभाषित वचन आदि संकलित हैं। इस खण्ड के 'समग्र-दर्शन' नामक अध्याय में आचारांग की विषय-वस्तु, इसके कर्ता आदि के विषय में भी प्रकाश डाला गया है। द्वितीय खण्ड में स्थानांगसूत्र का स्वरूप और परिचय, इसका दार्शनिक विश्लेषण, स्थानांग पर लिखित व्याख्या साहित्य एवं स्थानांग से चुने सुभाषित वचन हैं। इस खण्ड में स्थानांगसूत्र का जो बौद्ध और वैदिक ग्रन्थों से तुलनात्मक अध्ययन किया गया है, वह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। पुस्तक के ततीय और अन्तिम खण्ड में समवायांगसूत्र के महत्त्व को प्रतिपादित किया गया है। साथ ही इसकी विषयवस्तु का तुलनात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक तीनों आगमों के स्वरूप को उन पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करने में उपयोगी है, जो इन मूल आगमों का विस्तृत और गहन अध्ययन न कर पाने के कारण इनका लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। पुस्तक अनेक दृष्टियों से उपयोगी है। "बरसात की एक रात", लेखक - गणेश ललवानी, अनुवाद - राजकुमारी बेगानी, प्रकाशन - प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, प्रथम संस्करण 1993, आकार - क्राउन सोलहपेजी, पृ.102, मूल्य 45/- मात्र। _ गणेश ललवानी द्वारा लिखित पुस्तक 'बरसात की एक रात जैन कथाओं का एक अनूठा संग्रह है। इस प्रस्तक में ललवानी जी की नौ कहानियाँ संकलित हैं। इन कथाओं में 'नाग की आत्मकथा', पाटलीपुत्र का इतिवृत्त, शकुनिका विहार, ‘उडन तस्तरी' आदि प्रमुख हैं। 52 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org