________________ जाते तो ग्रन्थ की उपयोगिता और अधिक बढ़ जाती और यह शोधकर्ताओं के लिये भी उपयोगी बन जाता / सम्भवतः अगले संस्करण में इस कमी का परिमार्जन कर दिया जायेगा। इस प्रकार कहीं-कहीं मूल और अर्थ में समरूपता का अभाव है यथा अध्याय 1, सूक्त 31, पृ.19 1 ग्रन्थ के अन्त में दी गयी सूक्त व सुभाषित तथा पारिभाषिक शब्दकोष एवं नामानुक्रम ग्रन्थ की महत्ता बढ़ा देते हैं। मुद्रण निर्दोष है, ग्रन्थ संग्रहणीय एवं पठनीय है। आचार्य श्री तुलसी को इन्दिरागांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है जो आध्यात्मिक मूल्यनिष्ठा के आधार पर साम्प्रदायिक सौहार्द तथा उपेक्षितों की मदद करते हुए राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करते हैं। इस वर्ष का राष्ट्रीय एकता पुरस्कार अणुव्रत आन्दोलन के प्रणेता और मानवतावादी आचार्य श्री तुलसी को प्रदान किया गया। आचार्य तुलसी सर्वप्रथम अपने को एक मानव मानते हैं और मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु समर्पित हैं। वे मनुष्यों में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के विकास हेतु अणुव्रत आन्दोलन के प्रस्तोता हैं। राष्ट्र में अहिंसा और शान्ति की स्थापना के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे हैं। वस्तुतः वे पुरस्कार और सम्मान से निरपेक्ष है वे कहते हैं मैं केवल आत्मनिष्ठा और अहिंसा की साधना की दृष्टि से ही कार्य करता हूँ मेरी न कोई आकांक्षा है और न कोई स्पर्धा। वस्तुतः उनका यह सम्मान मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पित व्यक्तियों का सम्मान है, कर्तव्यनिष्ठा का सम्मान है। आचार्यश्री को दिये गये इस सम्मान से सम्पूर्ण जैन समाज अपने को गौरवान्वित अनुभव करता है और यह मंगल कामना करता है कि आचार्यश्री आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की स्थापना और राष्ट्रीय एकता के लिए युगों-युगों तक हमारा मार्ग प्रशस्त करते रहें। Jain Education International For Private ersonal Use Only www.jainelibrary.org