Book Title: Sramana 1993 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 40
________________ 1. 2 3 4 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 222222 21. रहस्यपूर्ण तथ्यों को उद्भावित करने में सक्षम हैं। सन्दर्भ ओड़छौ वृंदावन सौ गाँव । गोबरधन सुख-शील पहरिया जहाँ रचत तृन गाय । । जिनकी पद रज उड़त सीस पर मुक्त-मुक्त हो जायँ । सप्तधार मिल बहत वेत्रवे जमना जल उनमान ।। नारी नर सब होत पवित्र कर-कर के अस्नान । सो थल तुंगरण्य बखानों ब्रह्मा वेदन गायौ । । सौल दियो नृपति मधुकर को श्रीस्वामी हरदास बतायौ । - बुन्देलवैभव, पृ. 157 बिहारीरत्नाकर, पद्य 6 दे. पदपंगति एव "रागरागिनी" नामक रचनाएँ । वही, वही, वही, वही, वही, वही, वही, हिन्दी जैनसाहित्य का विस्मृत बुन्देली कवि : देवीदास "मण्डलविधान", वही, पृ. 162-163 वही, पृ. 162 Jain Education International वही, वही, वही, वही, वही, वही, दे. "जोगपच्चीसी", बुन्देली "बंजी" शब्द, जो "वाणिज्य " शब्द का अपभ्रंश है, बुन्देलखण्ड में, गरीबी की स्थिति में कन्धे पर सामान ढोकर बेचने के अर्थ में यह शब्द रूढ़ हो गया है। ले. उपरिवत् । "अनेकान्त" ( 11/7-8/275) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64