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रहस्यपूर्ण तथ्यों को उद्भावित करने में सक्षम हैं।
सन्दर्भ
ओड़छौ वृंदावन सौ गाँव ।
गोबरधन सुख-शील पहरिया जहाँ रचत तृन गाय । । जिनकी पद रज उड़त सीस पर मुक्त-मुक्त हो जायँ । सप्तधार मिल बहत वेत्रवे जमना जल उनमान ।। नारी नर सब होत पवित्र कर-कर के अस्नान । सो थल तुंगरण्य बखानों ब्रह्मा वेदन गायौ । । सौल दियो नृपति मधुकर को श्रीस्वामी हरदास बतायौ । - बुन्देलवैभव, पृ. 157
बिहारीरत्नाकर, पद्य 6
दे. पदपंगति एव "रागरागिनी" नामक रचनाएँ ।
वही,
वही,
वही,
वही,
वही,
वही,
वही,
हिन्दी जैनसाहित्य का विस्मृत बुन्देली कवि : देवीदास
"मण्डलविधान",
वही, पृ. 162-163
वही,
पृ. 162
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वही,
वही,
वही,
वही,
वही,
वही,
दे. "जोगपच्चीसी", बुन्देली "बंजी" शब्द, जो "वाणिज्य " शब्द का अपभ्रंश है, बुन्देलखण्ड में, गरीबी की स्थिति में कन्धे पर सामान ढोकर बेचने के अर्थ में यह शब्द रूढ़ हो गया है।
ले.
उपरिवत् ।
"अनेकान्त" ( 11/7-8/275)
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