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क्यारे म्हानै मिलसै संत - सनेही ।
संत-सनेही सुरजन पाखै, राखे न धीरज देही ।। जन-जन आगलि अंतरगतिनी, बातड़ी करिए केही ? आनंदघन प्रभु वैद-वियोगे, किम जीवै मधुमेही । ।
संगत, सनेही संत की / ८२
पद
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