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कर्म्मग्रन्थस्य टबार्थः
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समये एक केश - वालाग्र अवहारो - ( काढतां ) योजननो कुवो खाली थये उद्धार (पल्योपम ) थाय, तथा सो वरसे एक वालाग्र काढीये तो कुवो खाली थये अछा पल्योपम थाय, तथा एक समये योजन प्रमाण कुवानो एक आकाश प्रदेश काढीये कुवो खाली थये क्षेत्र पल्योपम थाय. तिहां द्वीप समुद्रनो गिणवो ते उद्धार पल्योपमे करवो. पंचवीस कोडाकोडी पल्योपमना जेटला समय थाय तेटला द्वीप समुद्र छे. आउखो ते अछा पल्योपमे गणवो, बस जीवनो मान ते क्षेत्रपल्योपमे गिणवो, जिम पल्योपमना ३ तीन भेद तिम सागरोपमना तीन भेद जाणवा. ॥ ८५ ॥
हवे पुद्गल परावर्त्तनो स्वरूप कहे छे.
दवे खित्ते काले, भावे चउह दुह बायरो सुमो । होइ अनंतुस्सप्पिणि, परिमाणो पुग्गलपरहो ॥८६॥
अर्थ -- ते पुद्गल परावर्त्तनना भेद आठ छे. तिहां द्रव्य पुल परावर्तन १, क्षेत्र पुद्गल परावर्त्तन २, काल पुद्गल परावर्त्तन ३, भाव पुद्गल परावर्त्तन ४, ए च्यार ४ भेद ते एकेकना बे भेद छे-द्रव्य पुगल परावर्तन बादर १, द्रव्य पुगल परावर्त्तन सूक्ष्म २. ए बे, इम क्षेत्र पुगल परावर्त्तन बादर १, क्षेत्र पुद्रल परावर्तन सूक्ष्म २, काल पुगल परावर्त्तन बादर १, काल पुद्गल परावर्तन सूक्ष्म २, भाव पुगल परावर्त्तन बादर १, भाव पुद्गल परावर्त्तन सूक्ष्म २, ए आठे भेद जाणवा, बादर पुद्गल परावर्त्तन ते न्हानो छे, सूक्ष्म पुल परावर्त्तन ते मोटो छे. अनंत उत्सर्पिपणी, अवसर्पिपणी प्रमाणे पुद्गल परावर्त्तननुं मान थाये. ८६ ॥
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