Book Title: Shrimad Devchandra Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 1004
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर्मसंवेधप्रकरण. ९७९ भगणाइज्जं सुहमेयरदुहअजसेण थूलपज्जत्तजसपंच ॥ ७७ ॥ एगिदिअइगवीसे, अदुथावरइगबितसथूलजुअं पज्जेजसअजसेणय, अजसापज्जेविगलनवगं ॥७८॥ नामधुवोदयतिरिदुग पणिदितसथूलओअ इगभंगोलद्धिपज्जे असमत्तदुभगणाइज्जअजसेण करणअपज्जेपज्जे असमत्तगचउगसेअरेण तिरिदुगठाणेनरदुग खेवेनवभंगपुदिव ॥ ८० ॥ नामधुवमणुअपणतस थूलपज्जत्तसुभगआइज्जं जसवीसेभंगेगं कम्मणगेकेवलीअजिणे ॥१॥ जिणजुअइगवीसंते भंगेगंतत्थमणुअइगवीसे अनरदुसुरदुगजोगे अडनिरयेअसुहइगभंगो ॥८२॥ एगिंदिअ इगवीसे पुविविणुउरलहुंडउवघाया पत्तेगेअरवादस थुलपवणेविउव्विइगं ॥८३॥ इगचउवीसेसपरिघ पणवीसंथूलओपरित्तिअरे जसअजसेचउसुहुमे परित्तजुअभंगअडगंति ॥५॥ एवंनवेउब्वे अडसाहारेपसत्थइगभंगो देवेअडनिरयेइग भंगाइगवीसउदउव्व ॥८६॥ इगपणवीसेउसास अहदुउज्जोअबारपुट्विंव पवणेइगइगवीसे विअलेतिरिपुस्विअवहारे ॥७॥ उरलदुगडंडछेवठ्ठ परित्तउवघायसहिअनवभंगा तिरिइगवीसेपुव्वी हरखिवउवघायपत्तेअं ॥८॥ उरलदुगागिइछक्के छगसंघयणेसुअन्नतमदुतयं संवयणागिइगुणिया अडभंगादुसयअडसीइ ॥८९॥ अपजत्तेइगअसुहो एवंमणुए सुदुसयगुणनवइ बायरइगछव्वीसे आयवउज्जोअ अन्नछगं ॥९०॥ वेउव्विअपणवीसे तिरीएपरघासुगइजुअअ एवंनराभंगा पणवीसुदउज्वनेअव्वा ॥९१॥ विअलछवीसेकुखगइ परवाजुअअठ्ठवीसभंगछगं तिरिछव्वीसेपरघा खगइसुअअन्नतमएगा ॥९२॥ पुवुत्तदुसयअडसीखगई दुगुणा वेउव्विसगवीसेतिरीयेउसासेवा उज्जोएभंगसोलसगं ॥९३॥ तिरिअव्वउरलमणुए वेउवेसत्तवीसउस्सासे खित्तेअडउज्जोए इगआहारेदुभंगसुहा ॥९४ । सुरसगवीसेउसास उज्जोएवासोलइगनिरये For Private And Personal Use Only

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