________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रतिमापुष्प पूजासिद्धि.
९९७
सूत्रमध्ये गुरुनी पाटनी आशातना टालवी कही छे, ते पाट अजीव छे. तेपीण सर्व गुरुनो बहुमान छे, प्रतिमाने बहुमानें सिद्धनो बहुमान छे तथा सुधर्मा सभामांहि जिननी दाढा छे ते वंदनी पूजनीक छे, तेतो अजीव स्कंध छे तथा तुमे लख्यो जे परदेशी राजाए प्रतिमा कां न करी ? ते परदेशी श्रावक थया पछी केटलोक जीव्या छे ते तथा सर्व श्रावक एकज करणी करे ए स्यो नियम छे ? तथा परदेशीए तथा आणंद श्रावके कोइक साधुने पडिलाभ्या नयी तेमाटे तुझे साधुनी वीहराव्याने दोष मानस्यो ? ए विचारी ज्योज्यो तथा लख्युं छे जे सुरीयाने जे प्रतिमा पूजी ते राजधानीना मंगलीक माटे पूजा करी तेतो खोडं बोलो छो, ए पाठ सूत्रमें नथी. सूत्रमें तो एहवो पाठ छे " हीयाए सुहाए खेमाए निस्सेसाए आणुगामीयत्ताए भविस्सइ निश्रेयस कहेता मोक्षभणी ए अर्थ छे तथा पच्छा शब्दे जे इहलोकनो अर्थ छे इंम कहे छे ते मूढ छे, दर्दुर देवताने अधिकारे पछा शब्दे आवता भवनो अर्थ छे. तथा आचारांगसूत्रे जस्सपूद्दियिनो तस्सपछायिनो इहां पूर्व शब्दे पूंटलो भव पछा शब्दे आवतो भव लीधो छे. तथा ए भवे समकितनो लाभ ते घणो छे तथा तीर्थकर बांधाना फलनो पाठ उवायि मध्ये तथा पंचमहात्रत पाल्यानो पाठ आचारांग मध्ये तिहां पण हियाए इत्यादिक पाठ छे ते बे ठेकाणे लाभ मानो होतो जिनप्रतिमा ठामे ना स्याने कहो छो अने किहां जिनप्रतिमा पूजानो पाप को नयी अने होय तो देखाडो तुमे लिख्युं जे भगवंते हिंसानी ना कही छे तेतो अमे किहां कहुछं जे हिंसा करवी, पण भगवंते किसे सूत्रे प्रतिमा पूजानी ना कही नयी प्रतिमानी १७ प्रकारनी पूजा सूत्रे कही छे. तथा तुमे
For Private And Personal Use Only