Book Title: Shrimad Devchandra Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
कर्मसंवेधप्रकरण.
९८९
दुगअहवसुरदुग रहिआछलसीइअहअसीईयूआनिरयसुरछक्क असई उचलिआते छक्केण ॥ १३८ ॥ तेअनरदुअडसयरी उवसमसंतानिरयतिरिदुचऊजाई थावरआयव दुग साहारणविणासीई ॥ १३९॥ जिणविणुतेगुणसीई ते आहारगविहीणछस्सयरी जिणविणुतेपणसयरी अडनवसंताविव ॥ १४० ॥ तेवीसतिगेपणगं अडवीसेच उगसत्तगुणती से तीसे इगतीसइग इग बंधेअठसंतंसा ॥ १४१ ॥ उदये सत्तास्थानानि ॥ दुगअडपणसगनवसग अडनवनवपणतिगतिगंचकमा वीसाइसुउदए संतठाणाणिने आणि ॥ १४२ ॥ तिदुनउईगुणनऊई अटयछलसीअसीईअडसयरी अविश्यपणले सासुअतिनउई विणुमिल अन्नाणे १० ॥ १४३ ॥ तेविणुगुणनवई इगथावरविगलामणे सुतिरिए असव्वेतसपणभव्वे अणहारेनवडविणुयोए १८ ।। १४४ ।। अडसयरिविणामणुए ११ नवठविणुदसकसायचचक्खुदुगे सुक्काहारगसंत्रीअ वेएसय १३ नाणुवहिदंसे ॥ १४५ ॥ छलसीअडसरी विणुअडपवे अगदेसदेव परिहारे उवसमगेतिदुनवाई गुणनवईचे अडसीई ५ ॥ १४६ ॥ युंआसीगुणसीई छपणसयरीहिं सुहमसामईए छेएनवट्टसहीआ खवगाह क्खावगेनेआ ५ ॥ १४७॥ तिनवईचउविणुकेवल दुगिछठाणादुसासणेमीसे दोनवईअडसीईगुणनवईयुआयतेनिरए ५ ॥ १४८ ॥ अडसीछलसीसीई अडसरी मिछसंभवाभव्वे १ छगदुगदुगचउपंचसु दुसुअडतिसुचउछगमेगं ॥१४९॥ उदरसुदीरणाए सामित्ताएनविज्जईविसे सो मूत्तूणयइगुयालं सेसाणंसव्वपयडीणं ॥ १५० ॥ नवउदओअयोगे उईरणातेरमेअवुछिन्नामणुआउवे अणीए उईरणा अपमत्तंजा ॥ १५१ ॥ से साणंपयडीणं छेअसमयाउआलिगामोत्तं पडगही आणयसमगं अप डिग्गही आणविसमति ॥ १५२ || अविभागवग्गफडग अंतरariचकंडगायकमा लोगासंखगुणाते योगठाणादलनिमित्तं ॥१५३॥
२३
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 1012 1013 1014 1015 1016 1017 1018 1019 1020 1021 1022 1023 1024 1025 1026 1027 1028 1029 1030 1031 1032 1033 1034 1035 1036 1037 1038 1039 1040 1041 1042 1043 1044 1045 1046 1047 1048 1049 1050 1051 1052 1053 1054 1055 1056 1057 1058 1059 1060 1061 1062 1063 1064 1065 1066 1067 1068 1069 1070 1071 1072 1073 1074 1075 1076 1077 1078 1079 1080 1081 1082 1083 1084