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विचार रत्नसार.
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पामे, अने अविरति उदये चारित्र गुणस्थान न पामे, पण ज्यारे जीवने तथाविध परिणमन उपयोग एकाग्रता थाय, त्यारे ते सुखरूप ज्ञानचारित्रमय
संपूर्ण धर्मने पामे. ११० प्र०-द्वादशांगीना केटला पदो छे ? उ०-" कोटीशतं द्वादशश्चै व कोट्यो लक्षाण्यशीति
अधिकानिचैव पञ्चशदष्टौ च सहस्र संख्यामेतत्श्रुतं पञ्चपदननामि " ॥ १ ॥ एटला पद छे, " एकावन्नं कोडीओ, लक्खा अढे व सहस्स चुलसिही। सयछक्कं साढा, एकवीस पयगंथा ॥१॥'
एटला एक पदना श्लोकनी संख्या जाणवी. १११ प्र०-चौद पूर्वना नाम तथा ते प्रत्येकना पदनी संख्या कहो ?
उ०-१ उत्पाद पूर्व, पदसंख्या ११ क्रोड, २ अग्रायणीय
पूर्व, तेमां ९६ लाख पद छे, ३ वीर्यप्रवाद पूर्व तेमां ७० लाख पद छे, ४ अस्ति नास्ति प्रवाद पूर्व, तेमां ६० लाख पद छे, ५ ज्ञान प्रवाद पूर्व, तेमा ३६ क्रोड पद छे, ६ सत्य प्रवाद पूर्व, तेमां एक क्रोड अने ६० लाख पद छे, ७ आत्म प्रवाद पूर्व, तेमां ३६ क्रोड पद छे, ८ कर्मप्रवाद पूर्व, तेमां एक क्रोड आठ लाख पद छे,, ९ प्रत्याख्यान प्रवाद पूर्व तेमां ८४ लाख पद छे, १० विद्या प्रवाद पूर्व तेमां ११००१५००० पद छे, ११ कल्याण प्रवाद पूर्व, तेमां ६२ कोड पद छ, १२ प्राणवाद पूर्व, तेमां एक क्रोड ५६ लाख पद छे, १३ क्रियाविशाल
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